Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीचन्द्र
| कंडग उवरिं आउकस्सं नए एवं ॥ ४८५ ॥ उकोसाणं कंडं अणन्तगुणणाए तभए पच्छा । उवधायमाइयाणं इयराणुकोसगाहिंतोकाअनुभाग र्षिकृते
॥४८६ ।। अस्सायजहण्णठिइठाणेहिं तुल्लयाई सब्वाणं । आपडिवक्खक्कंतगठिईण ठाणाई हीणाई ॥ ४८७ ॥ ततो अणंतगुणपञ्चसंग्रहे
|णाए जति कंडस्स संखिया भागा | तत्तो अणंतगुणिय जहण्णठिति उकसं ठाणं ।। ४८८ ।। एवं उकस्साणं अर्णतगुणणाए कंडगे कर्मप्रकृतीत
वयइ । एकं जहण्णठाणं जाइ परक्कंतठाणाणं ॥ ४८९ ।। उवरि उवघायसमं सायस्सपि नवरि उक्कसठिईओ। अंतसुवधायसम मझे ॥३१२॥ नीयस्स सायसमं ॥ ४९० ॥ संजयबायरसुहुमग पज्जअपज्जाण हीणमुकोसो । एवं विगलाऽसभिसु संजयउक्कोसगो बन्धो
॥ ४९१ ॥ देसदुगविरय चउरो सणीपंचन्दियस्स चउरो य । संखेज्जगुणा कमसो संजयउकोसगाहिंतो ॥ ४९२ ॥ थोवा जहन्नबाहा उक्कोसाबाहठाण कंडाणि । उक्कोसिया अबाहा नाणपएसन्तरा तत्तो ।। ४९३ ॥ एगं पएसविवरं आबाहाकण्डगस्स ठाणाणि । हीणठिई ठिइठाणा उकोसठिई तओ अहिया ॥ ४९४ ।। आउसु जहनवाहा जहन्नबन्धो अबाह ठाणाणि । उकोसबाह| णाणतराणि एगन्तरं तत्तो ॥ ४९५॥ ठितिबन्धट्ठाणाई उक्कोसठिई तओवि अब्भहिआ। सण्णिसु अप्पाबहुयं दसट्ठभेयं इमं भणिय ।। ४९६ ॥ ठिइठाणे ठिइठाणे अज्झवसाया असंखलोगसमा। कमसो विसेसअहिया सत्तण्हाउस्सऽसंखगुणा ॥ ४९७ ॥ पल्लासंखसमाओ गन्तूण ठिईइ होंति ते दुगुणा । सत्तण्हज्ज्झवसाया गुणगाग ते असंखज्जा ॥४९८॥ ठितिदीहयाए कमसो | असंखगुणणाए होंति पगईणं । अज्झवसाया आउगनामट्ठगदुविहमाहाणं ॥ ४९९ ॥ सव्वजहन्नस्स रसो अणंतगुणिओ य तस्स
॥३१२॥ उकोसो। ठितिबन्धे ठिइबन्धे अज्झवसाओ जहाकमसो ॥ ५०० ॥ धुवपगडी बन्धंता चउठाणाई सुभाण इयराण । दो ठाणगाइ तिविहं सट्ठाणजहन्नगाईसु ॥ ५०१॥ चउदुट्ठाणाइ सुभासुभाण बन्धे जहन्नधुवठिईसु । थोवा विसेसअहिया पुहुत्तपरओ विसेसूणा
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