Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 328
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीचन्द्रपिंकृते पञ्चसंग्रहे कर्मप्रकृतौ ॥३२४॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ रसोदीरणा - अणुभागुदीरणाए घाईमण्णा य ठाणसष्णाय । सुभया विवागहेऊ जोऽत्थ विसेसो तयं वोच्छं ॥ ६८३ ॥ पुरिसित्थिविग्धअचक्खु चक्खुसम्माणइगिठाणे वा । मणपज्जनपुंसाणं वच्चासो सेस बन्धसमा ||६८४|| देसोवघाइयाणं उद देसो व होइ सब्वो वा । देसोवघायओ च्चिय अचक्खुसम्मत्तविग्वाणं ||६८५ || घायं ठाणं च पडुच्च सव्वधारण होइ जह बन्धे । अग्घाईणं ठाणं पडुच्च भणिमो विसेसोत्थ ।। ६८६ ॥ थावरचआयवउरलसत्तत्तिरिविगलमणुयतियगाणं । नग्गोहाइ चउन्हें इगिदिउसभाइछपि ॥ ६८७ ॥ तिरिमणुओगाणं मीसगुरुयखरनरयदेवपुब्वणिं । दुट्ठाणिउ च्चिय रसो उदए उदीरणाए य ।। ६८८ ॥ सम्मत्तमसिगाणं असुभरसो सेसयाण बन्धुतं । उक्कोसुदीरणा संतयंमि छट्टाणवडिएवि ।। ६८९ ।। मोहणियनाणवरणं केवलियं दंसणं विरयविग्धं । संपुत्रजीवदच्वे न पज्जवेसुं कुणइ पार्क ॥ ६९० ॥ गुरुलहूगाणंतपएसिएस चक्खुस्स सेसविग्घाणं । जोग्गेसु गहणधरणे ओहीणं रूविदव्वे ॥ ६९१|| साणं जह बन्धे होइ विवागो उ पच्चओ दुविहो । भवरिणामकओ वा निग्गुणसगुणाण परिणइओ ।। ६९२ ।। उत्तरतणुपरिणामे अहिय अहतावि हुंति सुसरजुया । मिउलहुपरघा उज्जोव खगड़चउरंस पत्तेया ।। ६९३ || सुभगाइ उच्चगोयं गुणपरिणामा उ देसमाईणं । अइहीणफडगाओऽणतंसो नोकसायाणं ।। ६९४ ।। जा जम्मि भवे नियमा उदीरए ताओ भवनिमित्ताओ । परिणामपच्चयाओ सेमाओ सई स सव्वत्थ ।। ६९५ ।। तित्थयरं घाईणि य आसज्ज गुणं पूहाणभावेण । भवपच्चइआ सव्वा तहेव परिणामपच्चइया ।। ६९६ ।। वेयणीएणुककोसा अजहण्णा मोहणीए चउभेया । सेसघाईण तिविहा नामागोयाण णुक्कोसा ।। ६९७ || सेसविगप्पा दुबिहा सच्चे आउस्स होउमुवसंतो। सव्वगओ | साए उक्कोसुद्दीरणं कुणइ ।। ६९८ ।। कक्खडगुरुमिच्छाणं अजहण्णा मिउलहूणऽणुक्कोसा । चउहा साइयवज्जा वीसा धुवोदय For Private and Personal Use Only रसोदीरणा ॥३२४॥

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