Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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अनुभागोदीरणा
श्रीचन्द्र- सुभाण ॥ ६९९ ॥ अजहण्णा असुभ धुवोदयाण तिबिहा भवे तिवीसाए । साई अधुवा सेसा सव्वे अधुवोदयाणं तु ।। ७००॥ पिकते
दाणाइ अचक्खूणं उक्कोसाइम्मि हीणलद्धिस्स । मुहुमरस चक्खुणो पुण तिइंदिए सव्वपज्जत्ते ॥ ७०१ ॥ निदाणं पंचण्हवि मज्झि- पञ्चसंग्रहे | मपरिणाम सकिलिट्ठस्स । पण नोकसायऽसाये नरए जेट्ठिति समत्तो ।। ७०२ ।। सम्मत्तीसगाणं सेकाले गाहहितित्ति मिच्छत्तं । कर्मप्रकृती
हासरइणं पज्जत्तगस्स सहसारदेवस्स ।। ७०३॥ पंचिंदी तसवायर पज्जत्तगसायमुस्सरगईणं । वेउब्बुस्सासस्स य देवो जेट्ठट्ठिति |
| सहसारदेवस्स ।। ७०४ ॥ गइहंडुवघायाणिदुखगतिदुभगाइ (चउ) नायगोयाणं । रइओ जेदुठिई मणुओ अंते अपज्जन्स ॥७०५।। ॥३२॥
| कक्खडगुरुसंघयणाथी' संठाणतिरिगईणं च । पंचिंदिओ तिरिक्खो अट्ठमवासेऽट्ठवासाऊ ॥ ७०६ ॥ तिगपलियाउ समत्तो | मणुअगतिउसभउरलसत्ताणं । ( मणुओ मणुयगइउसभउरलार्ण पाठांतरं ) पज्जत्ता चउगइआ उक्कोससगाउयाणं तु ॥ ७०७ ॥ हस्सठिईपज्जत्ता तन्नामा विगलजाइसुहुमाणं । थावरानगोअएगिदिआणमिह वायरा नवरि ।। ७०८ ॥ आहारतणु पज्जत्तगो य चउरंसमउयलढ्याणं । पत्तेयखगइपरथाय तइयमुत्तीण य विसुद्धो ॥ ७०९॥ उत्तरखेउबिजई उज्जोवस्सायवस्स खरपुढवी ।।3 नियगगइणं भणिया तइए समएऽणुपुब्बीण ॥ ७१० ॥ जोगते सेसाण सुभाणमियराण चउसुवि गईसु । पज्जत्तुकडमिच्छे सुलद्धि
होणेसु ओहीणं ।। ७११॥ सुयकेवलिणो महसुयचक्खुअचक्खूणुदीरणा मंदा । विपुलपरमोहिगाणं मणनाणोहीदुगस्सावि।। ७१२॥ * खवगम्मि विग्यकेवलसंजलणाणं सनोकसायाणं । सगसगउरिणते निद्दापयलाणमुवसंते ।। ७१३ ॥ निद्दानिद्दाईणं पमत्तविरए
४ |विसुज्झमाणम्मि । वेयगसम्मत्तस्स उ सगखवणोदीरणा चरमे ॥ ७१४ ॥ सम्मपडिवत्तिकाले पंचण्हवि संजमस्स चउचउसु ।। सम्माभिमुहो मीसे आऊण जहण्णठितिगोत्ति ॥ ७१५॥ पोग्गलविवागियार्ण भवाइसमए विसेसमुरलस्स । सुहुमापज्जो वाऊ |
॥३२५॥
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