Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 274
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit www.kcbatrth.org 15ॐ कर्मप्रकृतौ | जहन्नगे इत्तो । थावरजहन्नसतेण सम अहिंग व बन्धन्तो ॥ २५७ ॥ गन्तूणावलिमित्तं कसायबारसगभयदुगुंछाणं । निहाइपंचगस्स उदीरणा य आयावुज्जोयनामस्स ॥२५८|| एगिदियजोग्गाणं इयरा बंधितु आलिगं गन्तुं । एगिदियागए तट्टिईए जाईणमवि एवं ।।२५९॥ ॥२७॥ करणं वेयणिया नोकसाया समत्तसंघयणपंचनीयाण । तिरियदुग अयस दुभंगणाइज्जाणं च सनिगए ।। २६० ॥ अमणागयस्स चिरठिइ अंत सुरनरयगइउवंगाण । अणुपुब्धी तिसमइगे नराण एगिदियागयगे ।। २६१ ।। समयाहिगालियाए पढमठिईए उ सेसवेलाए । मिच्छत्ते वेएसु य संजलणासुवि य समत्ते ॥ २६२ ॥ पल्लासंखियभागूणुदही एगिदियागए मिस्से । बेसत्तभागवेउब्धियाए पवणस्स तस्संते ।। २६३ ॥ चउरुवसमेत्तु पेज्ज पच्छा मिच्छं खवेत्तु तेत्तीसा । उक्कोससंजमद्धा अंते सुतणूउवंगाणं ।। २६४ ॥ छउमत्थखीणरागे चउदस समयाहिगालिगठिईए । सेसाणुदीरणंते भिन्नमुहुत्तो ठिईकालो ।। २६५ ॥ अणुभागुदीरणाए सन्ना य सुभासुभा विवागो य । अणुभागबंधभणिया नाणत्तं पच्चया चेमे ।। २६६ ।। मीसं दुट्ठाणे सधघाइ दुट्ठाण एगठाणे य । सम्मत्तमंतरायंट च देसघाई अचक्खू य ॥ २६७ ।। ठाणेसु चउसु अपुर्व दुट्ठाणे ककर्ड च गुरुकं च । अणुपुब्धीओ तीसं नरतिरिएगंतजोग्गा य ॥ २६८ ॥ वेया एगट्ठाणे दुट्ठाणे वा अचक्खु चक्खू य । जस्सत्थि एगमवि अक्खरं तु तस्संगठाणाणि ॥ २६९ ॥ मणनाणं सेस-12 समं मीसगसम्मत्तमवि य पावेसु । छट्ठाणवडियहीणा संतुक्कस्सा उदीरणया ।।२७० ॥ विरियंतरायकेवलदंसणमोहणीयणाणवरणाणं । का असमत्तपज्जएसु सब्बदब्वेसु उ विवागो ॥ २७१ ।। गुरुलघुगा गंतपएसिएसु चक्खुस्स रूविदब्वेसु । ओहिस्स गहणधारणजोग्गे | सेसंतरायाणं ॥ २७२ ।। वेउब्वियतेयगकम्मवन्नरसगंधनिद्धलुक्खाओ । सीउण्हथिरसुभेयरअगुरुलघुगी य नरतिरिए ॥ २७३ ॥ चउरसमउयलहुगापरघाउज्जोयइट्ठखगइसरा । पत्तेगतणू उत्तरतणूसु दोसुवि य तणू तइया ॥२७४ ॥ देसविरयविरयाणं सुभगाएज्ज-2॥२७०॥ For Private and Personal Use Only

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