Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 272
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदीरणाकरणं कर्मप्रकृती 18|ठिइरसाणं । किट्टीवज्जे उभयं किट्टिसु ओवट्टणा नवरं ।। २२३ ।। इति उद्वर्तनापवर्त्तनाकरणम् ।। ॥२६८॥ अथ उदीरणाकरणम्-जं करणेणोकड्डिय उदए दिज्जइ उदीरणा एसा । पगइठिइअणुभागप्पएसमूलुत्तरविभागा ॥२२४॥ |मूलपगईसु पंचण्ह तिहा दोण्डं चउब्विहा होइ । आउस्स साइ अधुवा दसुत्तरसउत्तरासिंपि ॥ २२५ ॥ मिच्छत्तस्स चउद्धा तिहा य आवरणविग्घचउदसगे । थिरसुभ सेयर उवघायवज्ज धुवबंधिनामे य ॥ २२६ । घाईणं छउमत्था उदीरगा रागिणो य मोहस्स । तइयाऊण पमत्ता जोगताउति दोहं च ॥ २२७ ॥ विग्यावरणधुवाणं छउमत्था जोगिणो उ धुवगाणं । उबघायस्स तणुत्था | तणुकिट्टीण तणुगरागा ॥२२८।। तसवायरपज्जत्तग सेयर गइजाइदिष्टिवेयाणं । आऊग य तमामा पत्तेगियरस्स उ तणुत्था ।।२२९।। आहारग नरतिरिया सरीरदुगवेयए पमोत्तूर्ण । ओरालाए एवं तदुवंगाए तसजियाओ ॥ २३० ।। वेउब्वियाए सुरनेरइया आहारगा नरो तिरिओ । सन्नी बायरपवणो य लद्धिपज्जत्तगो होज्जा ।। २३१ ।। वेउविउवंगाए तणुतुल्ला पवणबायरं हिच्चा । आहारगाए | विरओ विउब्वयंतो पमत्तो य॥ २३२ ॥छण्हं संठाणाणं संघयणाणं च सगलतिरियनरा । देहत्था पज्जत्ता उत्तमसंघयणिणो सेढी ।। २३३ ।। चउरंसस्स तणुत्था उत्तरतणु सगलभोगभूमिगया । देवा इयरे कुंडा तसतिरियनरा य सेवट्टा ॥ २३४ ॥ संघय.८ णाणि न उत्तरतणूसु तन्नामगा भवंतरगा । अणुपुवीणं परघ यस्स उ देहेण पज्जत्ता ॥ २३५॥ बायरपुढवी आयावस्स य वज्जित्तु सुडुमसुदुमतसे । उज्जोयस्स य तिरिए उत्तरदेहो य देवजई ॥ २३६ ।। सगलो य इट्ठखगई उत्तरतणुदेवभोगभूभिगया । इट्ठ. तिसराए तसोवि य इयरासि तसा सनेरइया ।। २३७ ।। उस्सासस्स सराण य पज्जत्ता आणपाणभासासु । सबन्नूणुस्सासो भासा- वि य जा न रुज्झति ॥२३८॥ देवो सुभगाएज्जाण गम्भवकंतिओ य कित्तीए । पज्जत्तो वज्जित्ता समुहुमनेरइयमुहुमतसे ॥२३९॥ RECORRECROCHE R S ॥२६८॥ For Private and Personal Use Only

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