Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kcbatrth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पञ्चसंग्रहे
श्रीचन्द्र-18 हाणीओ हॉति जा तीए ॥ ४१५॥ थोवाओ वग्गणाओ पढमहाणीए उवरिमासु कमा । होति अणंतगुणाओ अणंतभागो पएसाणं भावाणुर्षिकृते । ॥४१५ ॥ पंचण्ह सरीराणं परमाणूणं मतीए अविभागो । कप्पिययाणेगंसो गुणाणु भावाणु वा हाँति ॥ ४१७॥ जे सव्वजहण्ण
निरूपणं गुणा जोग्गा तणुबंधणस्स परमाणू । तेवि उ य संखासंखगुणपलिभागा अइक्ता ॥४१८॥ सव्वजियाणंतगुणेण जे उ नेहेण पोग्गला कर्मप्रकृती
जुत्ता । ते वग्गणा उ पढमा बंधणनामस्स जोग्गाओ ॥ ४१९ ॥ अविभागुत्तरियाओ सिद्धाणमणंतभागतुल्लाओ । ताओ फड्डग॥३०८॥ मेगं अणंतविवराई इय भूय ।। ४२० ।। जइम इच्छसि फडं तत्तियसंखाए वग्गणा पढमा । गुणिया तस्साइल्ला रूवुत्तरियाओ
|ऽणंताओ ।। ४२१ ।। अभवार्णतगुणाई फड्डाई अंतराउ रूवुणा दोऽणंतरवुडीओ परंपरा हाँति सब्बाओ ।। ४२२ ॥ पढमा उ8
अणंतेहिं सरीरठाणं तु होइ फडेहिं । तयणंतभागवुड्डी कंडगमेत्ता भवे ठाणा ॥ ४२३॥ एकं असंखभागुत्तरेण पुण गंतभागवुड्डीए । | कंडगमेत्ता ठाणा असंखभागुत्तरं भूय ।। ४२४ ॥ एवं असंखभागुत्तराणि ठाणाणि कंडमेत्ताणि । संखेज्जभागवुडू पुण अनं उद्दए ठाणं ।। ४२५ ॥ अमुयंतो तह पुबुत्तराई एयंपि नेसु जा कंडं । इय एयविहाणेणं छबिहवुड्डी उ ठाणेसु ॥ ४२६ ।। अस्संखलोगतुल्ला अणंतगुणरसजुया य इयठाणा । कंडंति एत्थ भन्नइ अंगुलभागो असंखेज्जो ॥ ४२७ ॥ होति पओगो जोगो तट्ठाणविवड्डगाए जो उ रसो । परिवड्ढेई जीवो पओगफई तयं बेंति ॥ ४२८ ॥ अविभागवग्गफहगअंतरठाणाई एत्थ जह पुधि । ठाणाई वग्गणाओ अणंतगुणणाए गच्छति ॥ ४२९ ।। विहंपि फड्डगाणं, जहण्णउक्कोसगा कमा ठविउं । णेया णतगुणाओ वग्गणा |॥३०८॥ णेहफडाओ ॥ ४३० ॥ अणुभागविसेसाओ मूलुत्तरपगइभेयकरणं तु । तुल्लस्सावि दलस्सा पयईओ गोणनामाओ॥ ४३१ ॥ ठितिबंधो दलस्स ठिई पएसबंधो पएसगहणं जं । ताण रसो अणुभागो तस्समुदाओ पगतिबंधो ॥ ४३२ ॥ मूलुत्तरपगईणं पुचि दल
SCIENCECTORATECRENCE
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372