Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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कमप्रकृती
सत्ताकरणं
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मभासियं दुविहं ॥ ४४४ ।। संपुनगुणियकम्मो पएसउक्कस्ससंतसामी उ । तस्सेव उ उप्पिविणिग्गयस्स कासिंचि वन्नेहिं ॥४४५॥ II मिच्छत्ते मीसम्मि य संपक्खित्तम्मि मीससद्धाण । बरिसवरस्स उ ईसाणगस्स चरमम्मि समयम्मि ॥ ४४६ ॥ ईसाणे पूरित्ता ॥२८॥
नपुंसगं तो असंखवासासु । पल्लासंखियभागेण पूरिए इत्थिवेयस्स ।। ४४७ ।। पुरिसस्स पुरिससंकमपएसउक्कस्स सामिगस्सेव । इत्थी जं पुण समयं संपक्खित्ता हवइ ताहे ॥ ४४८॥ तस्सेब उ संजलणा पुरिसाइकमेण सव्वसंछोभे । चउरुवसमित्तु खिप्प रागते सायउच्चजसा ॥४४९ ॥ देवनिरयाउगाण जोगुक्कस्सेहिं जेट्टगद्धाए । बद्धवाणि ताव जावं पढमे समए उदिनाणि ॥ ४५० ।। सेसाउगाणि नियगेसु चेव आगम्म पुव्वकोडीए । सायबहुलस्स अचिरा बंधते जाव नोवट्टे ॥ ४५१ ॥ पूरित्तु पुब्बकोडीपुहुत्त | नारगदुगस्स बंधते । एवं पल्लतिगंते वेउव्विय सेसनवगम्मि ।। ४५२ ॥ तमतमगो सबलहुं सम्मत्तं लभिय सवचिरमद्धं । पूरित्ता मणुयदुगं सवज्जरिसहं सबंधते ॥ ४५३ ॥ सम्मद्दिटि धुवाणं बत्तीसुदहीसयं चउक्खुत्तो । उवसामइत्तु मोहं खतगे नियगबंधते ॥ ४५४ ।। धुवबन्धीण सुभाणं सुभत्थिराणं च नवरि सिग्धयरं । तित्थगराहारगतणू तेत्तीसुदही विरचिया य ।। ४५५ ॥ तुल्ला | नपुंसवेएणेगिंदिय थावरायवुज्जोवा । विगलसुहुमत्तियाविय नरतिरियचिरजिया होति ॥ ४५६ ॥ खवियंसम्मि पगयं जहन्नगे नियगसंतकम्मते । खणसंजोइयसंजोयणाण चिरसम्मकालंते ॥ ४५७ ॥ उबलमाणोण उब्बलणा एगट्टिई दुसामइगा । दिट्ठिदुगे बत्तीसे उदहिसए पालिए पच्छा ।। ४५८ ॥ अंतिमलोभजसाणं मोहं अणुवसमइत्तु खीणाणं । नेयं अहापवत्तकरणस्स चरमम्मि समयम्मि ॥ ४५९ ।। वेउविकारसगं खणबंध गते उ नरय जिट्टट्टिई । उन्चट्टित्तु अबंधिय एगेंदिगए चिरुव्वलणे ॥ ४६० ॥ | मणुयदुगुच्चागोए सुहुमखणबद्धगेसु सुहुमतसे । तित्थयराहारतणू अप्पद्धा बंधिया सुचिरं ।। ४६१ ।। चरमावलियपविट्ठा गुणसेढी
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॥२८॥
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