Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 283
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CRAS कर्मप्रकृतोदय मइसमं नवरि तिन्नि । निहानिद्दा इंदियपज्जत्ती पढमसमयम्मि ॥ ४१० ।।दसणमोहे तिविहे उदीरणुदए उ आलिगं गंतुं । 18 उदयकरणं सत्तरसण्हवि एवं उवसमइत्ता गए देवे ॥ ४११ ॥ चउरुवसमित्तु पच्छा संजोइय दहिकालसम्मत्ता । मिच्छ तगए आवलिगाए। ॥२७९॥ [ संजायणाणं तु ॥ ४१२ ।। इत्थीए संजमभवे सव्वनिरुद्धम्मि गंतु मिच्छत्तं । देवीए लहमिच्छी जेट्ठठिइ आलिगं गतुं ॥ ४१३ ।। अप्पद्धाजोगचियाणाऊणुक्कस्सगठिईणते । उवरिं थोवनिसेगे चिरतिव्वासायवेईणं ॥ ४१४ ॥ संजोयणा विजोजिय देवभव जहन्नगे अइनिरुद्धे । बंधिय उक्कस्सठिई गंतूणेगिदिया सन्नी ।। ४१५ ॥ सव्वलहुं नरयगए निरयगई तम्मि सव्वपज्जते । अणुपुव्वीओ य गईतुल्ला नेया भवादिम्मि ॥ ४१६ ।। देवगई ओहिसमा नवीरं उज्जोयवेयगो ताहे । आहार जाय अइचिरसंजममणुपालिऊगते ॥४१७॥ ससाणं चक्खुसमं तमि व अनमि व भवे अचिरा | तज्जोगा बहगीओ पवेययंतस्स ता ताओ॥४१८॥ इति उदयः अथ सत्ता-मूलुत्तरपगइगयं चउबिहं संतकम्ममवि नेयं । धुवम वणाईयं अगुहं मूलपगईणं ।। ४१९ ।। दिट्ठिदुगाउगछग्गति तणुचोद्दसगं च तित्थगरमुच्चं । दुविहं पढमकसाया होति चउद्धा तिहा सेसा ॥४२०॥ छउमत्थंता चउदस दुचरमसमयंमि अस्थि दो निद्दा | बद्धाणि ताव आऊणि वेइयाई ति जा कसिणं ॥ ४२१ ॥ तिसु मिच्छत्तं नियमा अट्ठसु ठाणेसु होइ भइयव्यं । आसाणे सम्मत्तं नियमा सम्मं दससु भज्जं ॥४२२।। बिइयतईएसु मिस्सं नियमा ठाणनवगम्मि भयणिज्ज । संजोयणा उ नियमा दुसु पंचसु होइ भझ्यव्वं ॥ ४२३ ॥ खवगानियट्टिअद्धा संखिज्जा होति अट्ठवि कसाया। निरयतिरियतेरसर्ग निद्दानिद्दातिगेणुवरि ॥ ४२४ ॥ अपमित्थीए समं वा हासच्छकं च परिससंजलणा । पत्तेग तस्स कमा तणरागतोत्ति लोभो य ॥ ४२५ ॥॥२७॥ मणुयगइजाइतसबायरं च पज्जत्तसुभगआएज्ज । जसकित्ती तित्थयरं वेयणिउच्चं च मणुयाणं ॥ ४२६ ॥ भवचरिमस्समयम्मि उ %AikORGHAREL For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372