Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
र्षिकृते |
बन्धने स्थितिबन्धः
श्रीचन्द्र- चउद्दहियसयं, पणवीसाओ य छायालं ॥ २२८ ॥ बत्तीसं नत्थि सयं, एवं अडयाल संतठाणाणि । जोगिअघाइचउक्के, भण*
खविउं घाइसंताणि ।। २२९ ॥ साई अधुवो नियमा, जीवविसेसे अणाइ अधुव धुवो । नियमा धुवो अणाई, अधुवो अधुवो व साई पञ्चसंग्रहे
वा ।। २३० ॥ उक्कोसा परिवडिए, साइ अणुक्कोसओ जहन्नाओ | अब्बन्धाओ वियरो, तदभाव दो वि अविसेसा ॥ २३१ ॥ वन्धद्वारे
तेणाई ओहेणं, उक्कोसजहन्नगो पुणो साई । अधुवाण साइ सव्वे, धुवाणणाइवि संभविणो ॥ २३२ ।। मूलुत्तरपगईणं, जहन्नओ ॥२९७॥
|४|पगइबन्ध उवसंते । तभट्टा अजहन्नो, उक्कोसो सनिमिच्छीम ॥ २३३ ।। आउस्स साइअधुवो, बन्धो तइयस्स साइअवसेसो ।।
सेसाण साइणाइ, भव्याभव्वेसु अधुवधुवो ॥ २३४ ।। साई अधुवो सब्याण, होइ धुवबन्धियाण णाइधुवो । निययअबन्धचुयाण साइ अणाई अपत्ताणं ॥ २३५ ।। नरयतिगं देवतिगं, इगिविगलाणं विउधि नो बन्धे । मणुयतिगुच्चं च गईतसंपि तिरि तित्थआहारं ॥ २३६ ॥ वेउव्वाहारदुर्ग, नारयसुरसुहुमविगलजाइतिगं । बन्धहि न सुरा सायवथावरएगिदि नेरझ्या ॥ २३७॥ मोहे सयरी कोडाकोडीओ वीस नामगोयाणं । तीसियराण चउण्हं, तेत्तीसयराई आउस्स ॥ २३८ ।। मोत्तुमकसाइ तणुयी, ठिइ वेयणि| यस्स बारस मुहुत्ता । अट्ठट्ठ नामगोयाण, सेसयाणं मुहुत्तंतो ।। २३९ ।। सुकिलसुरभीमहुराण दस उ तह सुभचउण्ह फासाणं ।।
अड्डाइज्जपवुड्डी, अंबिलहालिद्दपुव्वाणं ॥ २४० ॥ तीसं कोडाकोडी, असायआवरणअंतरायाणं । मिच्छे सयरी इत्थीमणुदुगसायाण पन्नरस ॥ २४१ ।। संघयणे संठाणे, पढमे दस उवरिमेसु दुगवडी। सुहमतिवामणविगले द्वारस चत्ता कसायाणं ।। २४२ ।। पुंहासरईउच्चे, सुभखगतिथिराइछक्कदेवदुगे । दस सेसाण वीसा, एवइयाबाहवाससया ॥ २४३ ॥ सुरनारयाउयाणं, अयरा तेत्तीस तिनि पलियाई । इयराणं चउसुवि पुवकोडितसो अबाहा उ ।। २४४ ।। वोलीणेसुं दोसुं, भागेसु आउयस्स जो बन्धो ।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372