Book Title: Panchashak Mulam
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Bा आलिगा अहिगा ।। ३६० ।। लोमस्स बे तिभागा ठिइय विभागोत्थ किट्टकरणद्धा । एगप्फडगवग्गणअणंतभागो उ ता हेट्ठा ॥३६१।।
सर्वोपला अणुसमयं सेढीए असंखगुणहाणि जा अपुवाओ। तविवरीयं दलिय जहनगाई विसेसूणं ।। ३६२ ॥ अणुभागो गंतगुणो चाउ॥२७६॥
शमना सम्मासाइ संखभागूणो । मोहे दिवसपुहुत्तं किट्टीकरणाइसमयम्मि ।। ३६३ ।। भित्रमुहुत्तो संखिज्जेसु य घाईण दिणपुहुत्तं तु ।
वाससहस्सपुहुत्तं अतोदिवसस्स अंते सि ॥ ३६४ ॥ वाससहस्सपुहुत्ता बिवस्स अंतो अघाइकम्माणं । लोभस्स अणुवसंतं किट्टीओ जं च पुव्वुत्तं ।। ३६५ ॥ सेसद्धं तणुरागो तावइया किडिओ य पढमठिई । वज्जिय असंखभागं हेडुवरिमुदीरई सेसा ॥ ३६६ ॥ गिण्हंतो य मुयंतो असंखभागं तु चरमसमयम्मि । उवसामेइ य बिईयठिइंपि पुब्धं व सव्वद्धं ॥ ३६७॥ उवसंतद्धा मित्रमुहुत्तो तीसे य संखतमतुल्ला । गुणसेढी सव्वद्धं तुल्झा य पएसकालहिं ॥ ३६८ ॥ उवसंता य अकरणा संकमणोवट्टणा य दिहितगे। | पच्छाणुपुन्विगाए परिवडइपमत्तविरतोत्ति ॥३६९।। ओकड्डित्ता बिइटिइहिं उदयादिसुं खिवह दव्वं । सेढीइ विसेसूर्ण आवलि उप्पि असंखगुणं ॥ ३७० ॥ वेइज्जंदीण इयरासिं आलिगाइ बाहिरओ । न हि संकमोणुपुचि छावलिगोदीरणाउप्पिं ॥ ३७१ ॥ वेइज्जमाणसंजलणद्वाए अहिगा उ मोहगुणसेढी । तुल्ला य जयारूढो अतो य सेसेहि से तुल्ला ॥ ३७२ ॥ खवगुवसामगप| डिवयमाणदुगुणो तहिं तहिं बंधो । अणुभागो तगुणो असुभाण सुभाण विवरीओ ॥ ३७३ ॥ किच्चा पमत्ततदियरठाणे परिवत्ति बहुसहस्साणि | हिडिल्लाणंतरदुगं आसाणं वावि गच्छिज्जा ॥३७४।। उसमसम्मसद्धा अंतो आउक्खया धुवं देवो। तिसु आउगेसु | बढेसु जेण सेटिं न आरुहइ ॥३७५।। उग्घाडियाण करणाणि उदयष्टिइमाइग इयरतुल्लं। एगभवे दुक्खुत्तो चरित्तमोहं उवसमेइ।।३७६४ उदयं वज्जी इत्थी इत्थि समयइ अवेयगा सत्त | तह वरिसवरो वरिसवरि इत्थिं समगं कमान्छे ।। ३७७ ॥ इति सर्वोपशमना ॥2॥२७६॥
REAK
AR.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372