Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 336
________________ इसिभासियाणं संगहणी पत्तेयबुद्धमिसिणो वीसं तित्थे अरिट्ठणेमिस्स । पासस्स य पण्णर दस वीरस्स विलीणमोहस्स ॥१॥ णारद १ वजितपुत्ते २ असिते ३ अंगरिसि ४ पुप्फसाले ५ य । वक्कल ६ कुम्मा ७ केयलि ८ कासव ९ तह तेतलिसुते १० य ॥२॥ ५ मंखलि ११ जण्ण १२ भयाली १३ बाहुय १४ महु १५ सोरियायण १६ विदू१७ य। वरिसे कण्हे १८ आरिय १९ उक्कल २० गाहावई तरुणे २१ ॥३॥ गद्दभ २२ रामे २३ य तहा हरिगिरि २४ अंबड २५ मयंग २६ वारत्ता २७ । तत्तो य अद्दए २८ वद्धमाण २९ वाऊ ३० य तीसतिमे ॥४॥ पासे ३१ पिंगे ३२ अरुणे ३३ इसिगिरि ३४ अंदालए ३५ य वित्ते' ३६ य ।। सिरिगिरि ३७ सातियपुत्ते ३८ संजय ३९ दीवायणे ४० चेव ॥५॥ तत्तो य इंदणागे ४१ सोम ४२ यमे ४३ चेव होइ वरुणे ४४ य । वेसमणे ४५ य, महप्पा चत्ता पंचेव ४५ अक्खाए ॥६॥ ॥ इसिभासियाणं संगहणी सम्मत्ता॥ १. असिते दविले इत्यर्थः, दविलज्झयणं इति भावः॥ २. उक्कल वादी य तरुणे य इति आदर्शेषु पाठः॥ ३. तंसो य महए आदर्शेषु पाठः॥ ४. यहालए इति प्रतिषु पाठः॥ ५. 'वित्ते तारायणिजे' इत्यर्थः, तारायणिजनामज्झयणं इति भावः॥ १७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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