Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 645
________________ ૪૮૮ ५ ४४१८. पावा पावायारा निद्धम्मा धम्मबुद्धिपरिहीणा । रोद्दा कुणिमाहारा नरा य नारी य होहिंति ॥ ८७७ ॥ ४४१९. जह जह झिज्जइ कालो तह तह सज्झाय - झाणकरणाई | झिजंति जाव तित्थं भणियं सेज्झायवंसो य ॥ ८७८ ॥ १० १५ पइण्णयसुत्ते ४४१६. सामाइय समणाणं महाणुभावाण चेश्यायारो । सव्वा य गंधजुत्ती दोसु वि संझासु नासिहिति ॥ ८७५ ॥ ४४१७. चक्कमिउं वरतरयं तिमिसगुहांते वमंधयाराए । न य तइया मणुयाणं जिणवरतित्थे पणट्ठम्मि || ८७६ ॥ २० [गा. ८७९ - ९२. वित्थयर समए भरवाससरूवं ] ४४२०. जणवैयवंसं पत्तो सज्झाए रायवंस आहारं ( 2 ) । सुव्वउ जिणवरभणियं तित्थोगालीए संखेवं ॥ ८७९ ॥ ४४२१. रिद्धित्थिमियसमिद्धं भारहवासं जिनिंदकालम्मि | बहुअइसयसंपण्णं सुरलोगसमं गुणसमिद्धं ॥ ८८० ॥ ४४२२. गामा [य] नगरभूया, नगराणि य देवलोगसरिसाणि । रायसमा य कुटुंबी, वेसमणसमा य रायाणो ॥ ८८१ ॥ ४४२३. चंदसमा आयरिया, अम्मा- पितरो य देवतसमाणा । मायसमा विय सासू, ससुरा वि य पितिसमा आसि ।। ८४२ ॥ ४४२४. धम्माऽधम्मविहन्नू विणयण्णू सच्च- सोयसंपण्णी । गुरु साहुपूयणरतो सदारनिरतो जणो तइया ॥ ८८३ ॥ ४४२५. अप्प (१ ग्घ) इ य सविण्णाणो, धम्मे य जणस्स आयरो तइया । विजापुरिसा पुज्जा, धरिज्जइ कुलं च सीलं च ॥ ८८४ ॥ ४४२६. भंग - त्तासविरहितो डमरुलोल-भय-डंडरहितो य । दुक्ख-ई-तक्कर-करभर [य] विवज्जिओ लोगो ॥। ८८५ ॥ १. 'हाते व धम्मरायाए हं० की ० ॥ २. सब्भावयं सो अ हं० की ० । सज्झायधम्मो य सं० ॥ ३. वययं ६० की ० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689