Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पइण्णयसुत्तेसु ४४३८. होहिंति साहुणो वि य सपक्खनिरवेक्ख निद्दया धणियं ।
समणगुणमुक्कजोगी केई संसारछेत्तारो॥ ८९७॥ ४४३९. हितिहिति गुरुकुलवासो, मंदा य मती य समणधम्मम्मि।
एयं तं संपतं 'बहुमुंडे अप्पसमणे य' ॥८९८॥ ५ ४४४०. रह गावि सिला सत्थो गोयममादीण वीरकहिया उ।
कैप्पडुम सीहा वि य तित्थोगालीए दिटुंता ॥ ८९९॥ ४४४१. लुद्धा य साहुवग्गा संपति उप्फालसूयगा बहुगा।
अलियवयणं च परं धम्मो य जितो अहम्मेण ॥९००॥ ४४४२. लुद्धा य पुहइपाला पयतीउप्फलसूयगा बहुला ।
अलियवयणं च पउरं धम्मो य जितो अहम्मेण ॥९०१॥ ४४४३. गामा मसाणभूता, नगराणि य पेयलोयसरिसाणि ।
दाससमा य कुडुंबी, जमदंडसमा य रायाणो ॥९०२॥ ४४४४. राया भिच्चे, भिच्चा य जणवए, जणवए य रायाणो।
खायंति एक्कमेक्कं मच्छा इव दुब्बले बलिया ॥९०३॥ १५ ४४४५. जे अंता ते मज्झा, मज्झा य कमेण होति पंच(? त)त्ता।
अपडागा इव नावा डोलंति समंततो देसा ॥९०४॥ ४४४६. पगलितगो-महिसाणं उत्तत्थाणं पलायमाणाणं ।
अजहन्निया पवित्ती उच्चक्खाणं जणवयाणं (?) ॥९०५॥ ४४४७. संपत्ता य जणवदा पणट्ठसोभस्सवा(? या) णिरभिरामा । २०
हियदार-सावएज्जा चोराउलदुग्गमा देसा ॥९०६॥ ४४४८. चोरे हणंति देसे, रायाकरपीडियाइं रट्ठाई।
अइरोद्दऽज्झवसाणा भिन्चा य हणंति रायाणो ॥ ९०७॥ ४४४९. धण-धण्णे अवि(धि)तण्हो भिक्खा-बलि-दाणधम्मपरिहीणो।
पावो मोहमतीओ गुरुजणविपरम्मुहो लोगो ॥९०८॥ १. सत्थे ला० ॥ २. कप्पदुमे सी' सं० ला० ॥ ३. उप्पालमूयगा सं० । वप्पालपूयगा हं० की०॥
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