Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 650
________________ २०. तित्थोगालीपइन्नयं ४४७३. तेण हरिया य रुक्खा तण - गुम्म-लया - वणप्फतीओ य । अग्गस्स य किर जोणी तमहोरत्तं पडिस्सिहिति ॥ ९३२ ॥ ४४७४ एते सणियं सणियं सव्वे वि य पव्वया न होहिंति । वेयड्डो रयणड्डो नवरं किच्छाए दीसिहिति ॥ ९३३ ॥ ४४७५. चंदा मुतिहिंति हिमं, अंहिययरं सूरिया उ तविहिंति । जेण इहं नर- तिरिया सी - उहहया किलिस्संति ॥ ९३४ ॥ ४४७६. अहियं होही सीतं, अहियं उण्हा वि होहिती सततं । होही तइया लोगो मुम्मुरनिउरुंबसारिच्छो ॥ ९३५ ॥ ४४७७. होही सुसिरा भूमी पडंत इंगालमुम्मुरसरिच्छा । अग्गी हरियतणाणि य नवरं सो तीहि सोविही (१) ॥ ९३६ ॥ ४४७८. उदएणं वूढो सो उ जणो पुप्फ-फल-पत्तरिहीणो । कलुणकिवणो वराओ होहिति उव्वाहुलो दहुं ॥ ९३७ ॥ ४४७९. चिक्खल्लका लियाओ चिक्खलपिसाइयाओ महिलाओ । ववगतनियंसणाओ नवरं केसेहिं पंडिवज्जा ॥ ९३८ ॥ ४४८०. भेसुंडियरूवगुणा विवन्नदेहच्छवी निरभिरामा । नग्गा विगयाभरणा बीभच्छा दीहरोम - नहा ॥ ९३९ ॥ ४४८१. कुणिम - सिरीसव- कदम -मुत्त- पुरीसासिणो मडहदेहा । हण-छिंद-भिंदपउरा दोग्गतिगामी य होहिंति ॥ ९४० ॥ ४४८२. पुणरवि अभिक्खभिक्खं अरसं विरसं च खार खट्टं च । अग्गि-विस- असणिसहितं मुतिहिन्ति (मुइति) मेहा ४४८३. जेण इहं मणुयाणं कासो सासो भगंदरं कोढा । होहिंति एवमादी रोगा अण्णे अणेगविहा ॥ ९४२ ॥ जलमणि ॥ ९४९ ॥ १. अहियं व मूत वहिहिंति । सर्वासु प्रतिषु ॥ २. परिहाणी की० ला० । परिहाणा हं० ॥ ३. पडिवुद्धा हं० की ० ला ॥ ४. भसुंडिय' सं० ला० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ४९३ १० १५ २० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689