Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२०. तित्थोगालीपइन्नयं ३८१२. किचेसु बहुविहेसु य जिणाण कायव्वएसु बहुएसु।
संदिसिऊण सुरिंदा दिसाकुमारीण सव्वेसिं ॥ २७१ ॥ ३८१३. नमिऊण जिणवीरंदे अस्थिप(तिप्प)माणा सुरेहिं ते सहिया ।
नंदीसरवरमहिमं काउं इंदा गया सग्गं ॥ २७२ ॥ ३८१४. अह पंडरे पहायम्मि दस वि ते कुलगरा निए पुत्ते ।
पेच्छंति सह पियाहिं हरिसवसुल्लसियमुहकमला ॥ २७३॥
[गा. २७४-८१. उसहाइदसजिणाणं वंसट्ठवणा लग्गं च] ३८१५. अह वइंति जिणिंदा दियलोगचुया अणोवमसिरि(री)या।
देवी-देवपरिखुडा दो-दोनारीहिं ते सहिया ॥ २७४ ॥ ३८१६. असियसिरया सुनयणा बिंबोडा धवलदंतपंतीया ।
वरपउमगभगोरा फुल्लुप्पलगंधनीसासा ॥ २७५॥ ३८१७. जाईसरा जिणिंदा अप्परिवडिएहिं तिहि उ नाणेहिं ।
कित्तीय य बुद्धीय य अब्भहिया तेहिं मणुएहिं ॥ २७६॥ ३८१८. देसूणगं च वरिसं इंदागमणं च वंसठवणाए ।
आहारमंगुलीए विहिंति देवा मणुण्णं ति ॥ २७७॥ ३८१९. सक्को वंसट्ठवणे इक्खु अगू तेण होंति इक्खागा ।
तालफलाहयभगिणी 'होही पत्ति' त्ति सारवणा ॥ २७८ ॥ ३८२०. पढमो अकालमञ्च तहिं तालफलेण दारगो पहओ।
कण्णा उ कुलगरेहिं सिढे गहिया पीतिव्वा (१ बितिजा) उ॥२७९॥ ३८२१. भोगसमत्थं(? त्थे) नाउं वरकम्मे कासि तेसि देविंदा।
दोण्हं वर-महिलाणं वहुकम्मं कासि देवीओ ॥ २८०॥ ३८२२. एवं दस वारेज्जा दससु वि वासेसु होति नायव्वा ।
दस वि जिणाणं एते देवाऽसुरपरिवुडा वत्थु (१ वुत्ता)॥ २८१ ॥
१. कित्तीइ य बुद्धीइ य ई० की० ॥ २. विहंति हं० की० ला० ॥ ३. इक्खयगू हं० की०॥ १.पुण्छ॥०॥ प.२०
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