Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
________________
पइण्णयसुत्ते
[गा. ४६५-७०. चउव्वीसइजिणाणं सिस्सिणीओ ]
४००६. उसभस्स होई बंभी १ फग्गू अजियस्सर संभवे सम्मा३ । अभिनंदणस्स अजिया ४ कासवि सुमतीजिनिंदस्स५ ।। ४६५ ॥ ४००७. पउमप्पभस्स तु रती६ सोम सुपासस्स पढमसिस्सिणि७ य । चंदप्पभस्स सुँमणा८ वारुणि सुविहिस्स जेट्ठा ९ ॥ ४६६ ॥ ४००८. सीयलजिणस्स सुजसा १० सेज्जंसजिणस्स धारिणी पढमा ११ । धरणी य वासुपुजे १२ धरा य विमलस्स जेट्ठऽज्जा १३ ॥ ४६७ ॥ ४००९. पउमा अनंतइजिणे १४ सिवा य धम्मे१५ सुती य संतिस्स १६ । कुंथुस्स दमिणी खलु१७ जेट्टऽज्जा रक्खिय अरस्स १८ ॥ ४६८ ॥ १० ४०१०. बंधुमती मल्लिस्स उ१९ मुणिसुव्वयजिणवरस्स पुप्फवती २० । अणिला य नमिजिणे २१ जक्खदिण्ण तहऽरिट्ठनेमिस्स २२ ॥४६९॥ ४०११. पासस्स पुप्फचूला २३ वीरजिणिंदस्स चंदणऽज्जा उ २४ । एयाओ पढाओ वक्खाया सिस्सिणीओ उ ॥ ४७० ॥
४५२
५
१५
२०
[गा. ४७१ - ९५. चउव्वीसइजिणाणं सीसपरिवारो समकालरायाणो माया-पियरो य] ४०१२. तित्थयराणं सीसे वोच्छामि थुई सहस्सपरिगीए ।
राया जो तम्मि जुगे अहेसि पिति - मायरो अह वा ॥ ४७१ ॥ ४०१३. चुलसीतिसहस्साइं उसभजिणिंदस्स सीसपरिवारो ।
भरहमहियस्स धणियं मरुदेवी - नाभितणुयस्स १ ॥ ४७२ ॥ ४०१४. एगं तु सयसहस्सं अजियजिदिस्स सीसपरिवारो ।
सगरमहियस्स धणियं विजया - जियसत्तुपुत्तस्स २ ॥ ४७३ ॥ ४०१५. दो चेव सयसहस्सा सीसाणं आसि संभवजिणस्स ।
मित्त विरित्यस्सा सेणाए - जियारितणयस्स ३ ॥ ४७४ ॥
१.
होइ वग्गू फग्गू ६० की ० ॥ २. 'अजिया' स्थाने अतिराणी' इति समवायाने, आगमोदयसमितिप्रकाशितात्तौ तु ' अजिया' इत्यस्ति ॥ ३. सुलसा समवाया ॥ ४. 'दामिनी' स्थाने 'अंजू' समवाया ॥ ५. पिय-मा हं० की ० ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689