Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 639
________________ ४८२ पइण्णयसुत्तेसु ४३४६. पढमो दसपुव्वीणं सयडालकुलस्स जसकरो धीरो। नामेण थूलभद्दो अविहिंसाधम्मभद्दो त्ति ॥८०५॥ ४३४७. नामेण सञ्चमित्तो समणो समणगुणनिउणचिंचइओ। होही अपच्छिमो किर दसपुव्वी धारओ धीरो॥८०६॥ [गा. ८०७-३६. सुयवोच्छेयकमनिरुवणं] ४३४८. एयस्स पुव्वसुयसायरस्स उदहि व्व अपरिमेयस्स। सुणसु जह अथ(?इत्थ) काले परिहाणी दीसते पच्छा ॥८०७॥ ४३४९. पुव्वसुयतेल्लभरिए विज्झाए सच्चमित्तदीवम्मि । धम्मावायनिमिल्लो होही लोगो' सुयनिमिल्लो ॥८०८॥ १० ४३५०. वोलीणम्मि सहस्से वरिसाणं वीरमोक्खगमणाओ। उत्तरवायगवसभे पुव्वगयस्सा भवे छेदो ॥ ८०९॥ ४३५१. वरिससहस्से पुण्णे तित्थोगालीए वड्रमाणस्स। नासीही पुव्वगतं अणुपरिवाडीए जं जस्स ॥ ८१० ॥ ४३५२. पण्णासा वरिसेहिं य बारसवरिससएहिं वोच्छेदो। दिण्णगणि-पूसमित्ते सैविवाहाणं छलंगाणं ॥ ८११॥ ४३५३. नामेण पूसमित्तो समणो समणगुणनिउणचिंचइओ। होही अपच्छिमो किर विवाहसुयधारको धीरो ॥ ८१२॥ ४३५४. तम्मि य विवाहरुक्खे चुलसीतीपयसहस्सगुणकलिओ। सहस चिय संभंतो होही गुणनिप्फलो लोगो ॥ ८१३ ॥ २० ४३५५. समवायववच्छेदो तेरसहिं सतेहिं होहि वासाणं । माढरगोत्तस्स इहं संभूतजतिस्स मरणम्मि ॥ ८१४ ॥ ४३५६. तेरसवरिससतेहिं पण्णासासमहिएहिं वोच्छेदो। अजवजतिस्स मरणे ठाणस्स जिणेहिं निट्ठिो ॥ ८१५॥ १. लोगो य सुयमिल्लो हं० की० ॥ २. सविवाहरणं सर्वासु प्रतिषु॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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