Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 640
________________ ४८३ २०. तित्थोगालीपइन्नयं ४३५७. चोदसवरिससतेहिं वोच्छेदो जेट्ठभूतिसमणम्मि। कासवगोते णेओ कप्प-व्ववहारसुत्तस्स ।। ८१६ ॥ ४३५८. भणिदो दसाण छेदो पन्नरससएहिं होइ वरिसाणं । समणम्मि फग्गुमित्ते गोयमगोत्ते महासत्ते ॥ ८१७॥ ४३५९. भारद्दायसगुत्ते सूयगडंगं महासमणनामे । अगुणव्वीससतेहिं जाही वरिसाण वोच्छित्तिं ॥ ८१८॥ ४३६०. वरिससहस्सेहिं इहं दोहि विसाहे मुणिम्मि वोच्छेदो। वीरजिणधम्मतित्थे होहि निसीहस्स निदिट्ठो ॥ ८१९॥ ४३६१. विण्हुमुणिम्मि मरते हारितगोत्तम्मि होति वीसाए। वरिसाण सहस्सेहिं आयारंगस्स वोच्छेदो ॥ ८२०॥ ४३६२. अह दूसमाए सेसे होही नामेण दुप्पसहसमणो । अणगारो गुणगारो धम्मागारो तवागारो ॥ ८२१॥ ४३६३. सो किर आयारधरो अपच्छिमो होहिती भरहवासे । तेण समं आयारो नस्सीहि समं चरित्तेणं ॥ ८२२॥ ४३६४. अणुओगच्छिण्णयारो (१) अह समणगणस्स दावियायारो (१३)। आयारम्मि पणढे होहिति तइया अणायारो ॥ ८२३॥ ४३६५. चंकमिउं वरतरं(? तरयं) तिमिसगुहाए व मंधकाराए। न य तइया समणाणं आयारसुते पणट्ठम्मि ॥ ८२४॥ ४३६६. निज्झीणा पासंडा चोरेहिं जणो विलुप्पते अहियं ! होहिंति तया गामा केवलनामावसेसा उ॥८२५॥ ४३६७. वीसाए सहस्सेहिं पंचहिं य सतेहिं होइ वरिसाणं । पूसे वच्छसगोत्ते वोच्छेदो उत्तरज्झाए ॥८२६॥ ४३६८. वीसाए सहस्सेहिं वरिससहस्सेहिं (वरिसाण सएहिं) नवहिं वोच्छेदो। दसवेतालियसुत्तस्स दिण्णसाहुम्मि बोधव्वो॥८२७॥ १५ १.कामिडं सं० ला.॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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