Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 623
________________ ૬૬ [गा. ६२१ - ९२३. पंचमस्स दूसमाअरगस्स वित्थरओ परूवणं ] [गा. ६२१ - २७. पालय - मरुय-पूसमित्त - बलमित्त - भाणुमित्त-नहसे - गद्दभ-सगर्वसाणं रअकालो दुट्ठबुद्धिरायजम्मो य] ४१६२. पालगरण्णो सट्ठी, पणपण्णसयं वियाण णंदाणं । मरुयाणं असयं, तीसा पुण पूसमित्ताणं ॥ ६२१ ॥ ४१६३. बलमित्त - भाणुमित्ता सट्ठी, चत्ता य होंति नहसेणे । गद्दभ सयमेगं पुण, पडिवण्णो तो सगो राया ॥ ६२२ ॥ ४१६४. पंच ये मासा पंच य वासा छ चैव हुंति वाससया । परिनिव्वयस्सैऽरहतो तो उप्पण्णी सगो राया ॥ ६२३॥ ४१६५. सगवंसस्स य तेरस सयाइं तेवीसई चै वासाई । हो जम्मं तस्स उ कुसुमपुरे दुट्ठबुद्धिस्स ॥ ६२४ ॥ १५ ४१६६. पत्तो पत्तकुलम्मि य चेते सुद्धऽट्ठेमीय दिवसम्म । share चंदे विट्ठीकरणे रविस्सुदए । ६२५ ॥ ४१६७. जम्मोवगए सूरे, सणिच्छरे विण्हुदेवयगए य । सुक्के भोमेण हते, चंदेण हए सुरगुरुम्मि || ६२६ ॥ १० पइण्णयसुत्ते [गा. ६२०. वद्धमाणजिणनिव्वाणं पालयन्नो य रज्जाभिसेओ ] ४१६१. जं रयणिं सिद्धिगओ अरहा तित्थंकरो महावीरो । तं रयणिमवंतीए अभिसित्तो पालओ राया ॥ ६२० ॥ २० ४१६८. ससि-सूरऽत्थमणम्मि य समागमे तित्थ गपक्खमि (१) । सत्तरिसयचक्कपमद्दए य धूमए (? धूमे ) य केउम्मि ॥ ६२७ ॥ [गा. ६२८ - ८९. दुट्ठबुद्धि-चउम्मुहाइ अवरनामस्स कक्करन्नो जण-जणवय इकट्ठदायगं चरियं ] ४१६९. तइया भुवणं पडणस्स जम्मनगरीए राम - कन्हाणं । घोरं जणक्खयकरं पडिबोहदिणे य विण्हुस्स || ६२८॥ १. य वासा पंच य मासा छ ६० की ० ॥ २. स्स भर प्रतिपाठः ॥ ३. 'च होंति वा प्रतिपाठः ॥ ४. तस उ प्रतिपाठः ॥ ५. हमीइ हं० की ० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689