Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 634
________________ तित्थोगाली पइन्नयं ४२८६. तस्स विदाई समत्तो तवनियमो एव भद्दबाहुस्स । सो पारित नियमो वाहरिउं जे अह पवत्तो ॥ ७४५ ॥ २०. ४२८७. अह भणइ भद्दबाहू ' पढमं ता अट्ठमस्स वासस्स । अणगार ! न हु किलम्मसि भिक्खे सज्झायजोगे य' ॥ ७४६ ॥ ४२८८. सो अट्टमस्स वासस्स तेण पढमिल्लयं समाभट्ठो । 'कीस य परितम्मीहं धम्मावाए अहिज्जंतो ' ॥ ७४७ ॥ ४२८९. एकं ता भे पुच्छं 'केत्तियमेत्तं मि सिक्खितो होज्जा ? | केत्तियमेतं च यं १ अट्ठहिं वासेहिं किं लद्धं ? ' ॥ ७४८ ॥ ४२९०. ' मंदरगिरिस्स पासम्मि सरिसवं निक्खिवेज्ज जो पुरिसो । सरिसवमेत्तं विगयं मंदरमेत्तं च ते सेसं ' ॥ ७४९ ॥ ४२९१. सो भणति एव भणिए ' भीतो न वि ता अहं समत्थो मि । अप्पं च महं आउं बहू [य] सुयमंदरो सेसो ' ॥ ७५० ॥ ४२९२. ' मा भाहि नित्थरीहिसि अप्प [?य ] तरएण वीर ! कालेणं । मज्झ नियमो समत्त पुच्छाहि दिवा य रतिं च ' ॥ ७५१ ॥ ४२९३. सो सिक्खिउं पयत्तो दिट्ठत्यो सुड्डु दिट्ठिवायम्मि | पुव्वक्खतोव समियं पुव्वगतं पुव्वनिद्दिद्धं ॥ ७५२ ॥ ४२९४. संपति एक्कारसमं पुव्वं अतिवयति वणदवो चेव । झत्ति तओ भगिणीतो दङ्कुमणा वंदणनिमित्तं ॥ ७५३ ॥ ४२९५. जक्खा य जक्खदिण्णा भूया तह हवति भूयदिण्णा य । सेणा वेणा रेणा भगिणीतो थूलभद्दस्स ।। ७५४ ॥ ४२९६. एया सत्त जणीओ बहुस्सुया नाण-चरण संपण्णा । सगडालबालियातो भाउं अवलोइउं एंति ॥ ७५५ ।। ४२९७. तो वंदिऊण पाए सुभद्दबाहुस्स दीहबाहुस्स । Jain Education International पुच्छंति 'भाउओ ने कत्थ गतो थूलभदो ? ' त्ति ॥ ७५६ ॥ १. वोहरि सं० । षोहरि° ६० । मोहरि की० ॥ २. इंति ६० ॥ For Private & Personal Use Only ४७७ १० १५ २० www.jainelibrary.org

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