Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पइण्णयसुत्तेसु ४२९८. अह भणइ भद्दबाहू ' सो परियट्टेति सिवघरे अंतो।
वचह तहिं विदच्छिह सज्झाय-ज्झाणउज्जुत्तं' ॥७५७॥ ४२९९. इयरो वि य भगिणीओ दणं तत्थ थूलभद्दरिसी।
चिंतइ गारवयाए ‘सुयइढेि ताव दाएमि' ॥ ७५८ ॥ ५ ४३००. सो धवलवसभमेत्तो जातो विक्खिण्णकेसरजडालो।
घणमुक्कससिसंरिच्छो कुंजरकुलभीसणो सीहो ॥ ७५९ ॥ ४३०१. तं सीहं दट्टणं भीयाओ सिवघरा विनिस्सरिया।
भणितो य णाहिं [उ] गुरू 'एत्थ हु सीहो अतिगतो 'त्ति ॥७६० ॥ ४३०२. 'नत्थेत्थ कोइ सीहो, सो चेव य एस भाउओ तुभं ।
ड्डीपत्तो जातो [तो] सुयइढेि पयंसेइ' ॥ ७६१॥ ४३०३. तं वयणं सोऊणं तातो अंचियतणूरुहसरीरा ।
संपत्थियाओ तत्तो जत्तो सो थूलभद्दरिसी ॥ ७६२॥ ४३०४. जह सागरो व उव्वेलमतिगतो पडिगतो सयं ठाणं ।
संपलियंकनिसन्नो धम्मज्झाणं पुणो झाइ ॥७६३॥ १५ ४३०५. दुपु (१ उग्घु)?महुरकंठं सो परियट्टेइ ताव पाढमयं ।
भणियं च नाहिं 'भाउग ! सीहं दट्टण ते भीया ॥७६४ ॥ ४३०६. सो वि य पागडदंतं दरवियसियकमलसच्छहं हसिउं ।
भणइ य 'गारवयाए सुयइड्डी दरिसिया य मए' ॥ ७६५ ॥ ४३०७. तं वयणं सोऊणं तातो अंचियतणूरुहसरीरा।
पुच्छंति पंजलिउडा वागरणऽत्थे सुणिउणऽत्थे ॥७६६॥ ४३०८. इयरो वि य भगिणीओ वीसज्जेऊण थूलभद्दरिसी।
उचियम्मि देसकाले सज्झायमुवट्ठिओ काउं॥७६७॥ ४३०९. अह भणइ भद्दबाहू 'अणगार ! अलाहि एत्तियं तुझं।
परियट्टतो अच्छसु एत्तियमेत्तं चियत्तं मे' ॥७६८॥
१. सिरिच्छो सं० हं० की०॥
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