Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२०. तित्थोगालीपइन्नयं [गा. ६९८-७०१. संखेवओ केवलनाणाइवोच्छेयपरूवणा] ४२३९. चउसट्ठीवरिसेहिं नेव्वाणगतस्स जिणवरिंदस्स ।।
साहूण केवलीणं वोच्छेतो जंबुणामम्मि ॥ ६९८॥ ४२४०. मण परमोहि पुलाए आहारग खमग उवसमे कप्पे ।
संजमतिय केवलि सिज्झणा य जंबुम्मि वोच्छिन्ना ॥ ६९९॥ ४२४१. नवसु वि वासेसेवं मण-परमोही-पुलागमादीणं ।
समकालं वोच्छेओ तित्थोगालीए निविट्ठो ॥७००॥ ४२४२. चोदसपुव्वच्छेओ वरिससते सत्तरे विणिहिट्ठो।
साहुम्मि थूलभद्दे अन्ने य इमे भवे भावा ॥ ७०१॥ [गा. ७०२-८०६. वद्धमाणसामीओ थूलभद्दपजंता पट्टपरंपरा
थूलभद्दचरियगन्मा य पुव्वधरपरूवणा] ४२४३. कोती कयसज्झातो समणो समणगुणनिउणचिंचइओ।
पुच्छइ गणिं सुविहियं अइसयनाणी महासत्तं ॥ ७०२॥ ४२४४. 'भगवं ! कह पुवातो(१ इं) नट्ठाई उवरिमाइं चत्तारि १ ।
एयं जहोवदिटुं इच्छह सब्भावतो कहिउं' ॥७०३॥ ४२४५. “जह पाडलस्स गुणपायडस्स ति(रवि) परंपरागओ गंधो ।
संसग्गीसंकतो अहिययरं पायडो होइ ॥ ७०४॥ ४२४६. एवं सुयधरपडिपुच्छतो नरो परममंदमेहावी ।
थोव [१५] डिपुच्छतो पुण जसपायडगंधतो होइ ॥ ७०५॥ ४२४७. विण्णाणं जिणवयणं वयाणि न वि दिज्जए अधन्नस्स ।
धण्णस्स दिज्जइ पुणो सद्दहमाणस्स भावेणं ॥७०६॥ ४२४८. अम्हं आयरियाणं सतीए कण्णाहडं च सोउं जे।
तित्थोगाली एयं एगमणा मे निसामेह" ॥ ७०७॥४२४९. तिण्णि य वासा मासह अद्ध बावत्तरिं च सेसाई।
सेसाए चउत्थीए तो जातो वडमाणरिसी ॥७०८॥ .. 'अतिशयज्ञानिनम्' इत्यर्थः॥
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