Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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४५८
पइण्णयसुत्तेसु ४०७५. भैरहे सेज्जंसजिणो, एरवए जुत्तिसेणजिणचंदो ।
दस वि सवणजोएणं सिद्धिगया पुव्वसूरम्मि ॥ ५३४॥ ४०७६. एवमसीति जिणिंदा अट्ठमयट्ठाणनिट्ठवियकम्मा ।
दससु वि खेत्तेसेए सिद्धिगया पुव्वसूरम्मि ॥ ५३५॥ ५ ४०७७. भरहे य संभवजिणो, एरवए अग्गिसणजिणचंदो ।
मिगसिरजोगे दस वी सिद्धिगया अवरसूरम्मि ॥ ५३६ ॥ ४०७८. पउमप्पभो य भरहे, वयधारिजिणो य एरवयवासे ।
दस वि मघाजोएणं सिद्धिगया अवरसूरम्मि ॥ ५३७॥ ४०७९. सुविही य भरहवासे, एरवयम्मि य सयाउजिणचंदो ।
दस वि जिणा मूलेणं सिद्धिगया अवरसूरम्मि ॥ ५३८ ॥ ४०८०. भरहे य वासुपुज्जो, सेजंसजिणो य एरवयवासे ।
दस वि जिणा संवणेणं सिद्धिगया अवरसूरम्मि ॥५३९॥ ४०८१. एते चत्तालीसं अट्ठमयट्ठाणनिट्ठवियकम्मा ।
दससु वि वासेसेवं सिद्धिगया अवरसूरम्मि ॥ ५४०॥ १५ ४०८२. विमलो य भरहवासे, एरवए सीहसेणजिणचंदो ।
उत्तरभद्दव दस वी सिद्धिगया पुव्वरत्तम्मि ॥५४१॥ ४०८३. भरहे अणंतइजिणो, एरवए असंजलो जिणवरिंदो ।
रेवइजोगे दस वी सिद्धिगया पुब्वरत्तम्मि ॥ ५४२॥ ४०८४. संती य भरहवासे, एरवए दीह(१ देव)सेणजिणचंदो ।
भरणीजोगे दस वी सिद्धिगया पुव्वरत्तम्मि ॥ ५४३॥ ४०८५. कुंथू य भरहवासे, एरवयम्मि य महाहिलोगबलो ।
कित्तियजोगे दस वी सिद्धिगया पुव्वरत्तम्मि ॥५४४॥
१. नोपलब्धमिदं गाथा (५३४-३५) युगलं कस्मिंश्चिदपि आदर्श, अनुसन्धानार्थे परिकल्प्यात्र लिखितमिति ॥ २. मी ला. विना॥ ३. समणेणं प्रतिपाठः॥ ४. मी सं०। ही हं. की० ॥ ५. मी ला० विना ॥
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