Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पइण्णयसुत्तेसु ४०९७. भरहे अरिट्ठनेमी, एरवए अग्गिसेणजिणचंदो।
दस वि निसज्जोवगया दससु वि खेत्तेसु सिद्धिगया ॥५५६ ॥ ४०९८. भरहे य वडूमाणो, एरवए वारिसेणजिणचंदो।
दस वि निसन्जोवगया दससु वि खेत्तेसु सिद्धिगया ॥ ५५७॥ ५ ४०९९. दोण्णि सया उ दहुत्तर जिणवरचंदाण केवलीणं तु ।
दससु वि वासेसेए वाघारियपाणिणो सिद्धा ॥ ५५८॥ ४१००. चंदाणण उसभजिणो आइगरा चोदसेण भत्तेणं ।
एतेण दस वि सिद्धा दससु वि वासेसु जिणचंदा ॥ ५५९ ॥ ४१०१. भरहे य वड़माणो, एरवए वारिसेणजिणचंदो।
छट्टेण दस वि सिद्धा दससु वि वासेसु जिणचंदा ॥५६० ॥ ४१०२. दोण्णि सया वीसुत्तर तित्थयराणं तिलोगनाहाणं ।
दससु वि वासेसेए मासियभत्तेण सिद्धिगया ॥ ५६१ ॥
[गा. ५६२-६६. दसखेत्तसमुभूयउसभाइजिणसिद्धिगमणसमयनग
नगरीओ] १५ ४१०३. अट्ठावयम्मि उसभो सिद्धिगओ भारहम्मि वासम्मि ।
चंदाणणो एरवए सिद्धिगओ मेहकूडम्मि ॥ ५६२ ॥ ४१०४. सम्मेयम्मि जिणिंदा वीसं परिनिव्वुया भरहवासे ।
एरवए सुपइट्टे वीसं मुणिपुंगवा सिद्धा ॥ ५६३॥ ४१०५. चंपाए वासुपुज्जो सिद्धिगतो भारहम्मि वासम्मि । २०
एरवए सेन्जंसो सिद्धिगतो नागनगरीए ॥ ५६४॥ ४१०६. हरिवरकुलनंदिकरो उजेंते निव्वुओ जिणो नेमी।
एरवए अग्गिसेणो सिद्धिगतो चित्तकूडम्मि ॥ ५६५॥ ४१०७. पावाए वद्धमाणो सिद्धिगतो भारहम्मि वासम्मि ।
___ एरवए वारिसेणो सिद्धो कमलुज्जलपुरीए ॥५६६॥
१. टुनामें प्रतिपाठः॥
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