Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 601
________________ ४४४ पइण्णयसुत्तेसु ३९२६. मुणिसुव्वओ धरो वि हु गोयमगोत्तऽग्गिसेण नेमी य । अवसेसा तित्थयरा कासवगोत्ता मुणेयव्वा ॥३८५॥ [गा. ३८६-८८. कुमार-राय-चक्कवट्टितित्थयरा] ३९२७. वीरो अरिहनेमी पासो मल्ली य वासुपुज्जो य । एते मोतूण जिणे अवसेसा आसि रायाणो ॥ ३८६ ॥ ३९२८. रायकुलेसु वि जाया विसुद्धवंसेसु खत्तियकुलेसु । न य इच्छियाभिसेया कुमारवासेसु पव्वइया ॥ ३८७॥ ३९२९. संती कुंथू य अरो अरहंता चेव चक्कवट्टी य । अवसेसा तित्थयरा मंडलिया आसि रायाणो ॥३८८॥ [गा. ३८९. चउव्वीसइतित्थयरसमयनिरूवगा अरया] ३९३०. उसभजिणो उप्पण्णो चरिमंते सुसमदूसमाए उ । तेवीसं तित्थयरा दूसमसुसमाए उप्पण्णा ॥ ३८९॥ [गा. ३९०-९१. चउवीसइतित्थयराणं पुबभवे रायत्ताइ-सुयनाणनिरूवणं] ३९३१. मंडलिया रायाणो जिणतेवीसं तु होंति पुव्वभवे । उसभो पुण तित्थयरो बोधव्वो चक्कवट्टी उ ॥३९० ॥ ३९३२. तेवीसं तित्थयरा पुव्वभवेक्कारसंगवी आसि। उसभो पुण तित्थयरो चोदसपुवी मुणेयव्वो ॥ ३९१॥ [गा. ३९२-९५, चउव्वीसइजिणाणं निक्खमणनगरी-समय-सहपव्वइयसंखा] ३९३३. उसभो य विणीयाए, बारवतीए अरिट्ठवरनेमी । अवसेसा तित्थयरा निक्खता जम्मभूमीसु ॥ ३९२॥ ३९३४. मल्ली पासो अरहा सेजंसो चेव वासुपुज्जो य । पुव्वण्हे पव्वइया, सेसा पुण पच्छिमण्हम्मि ॥ ३९३॥ - ३९३५. एगो भगवं वीरो, पासो मल्ली य तिहिं तिहिं सएहिं । भगवं पि (१ च) वासुपुज्जो छहिं पुरिससएहिं निक्खंतो ॥३९४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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