Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 595
________________ पण्णयसुते सु ३८६३. सुविही य भरहवासे, एरवए चेव जिणवरसयाऊ । एगसमम्मि जाया दस वि जिणा मूलजोगम्मि ॥ ३२२ ॥ ३८६४. भरहे य सीयलजिणो, एरवए सव्वई जिणवरिंदो । पुव्वासाढारिक्खे जाया जिणपुंगवा एते ॥ ३२३ ॥ ५ ३८६५. भरहे सेज्जंसजिणो, एखए जुत्तिसेणजिणचंदो । एसमएण जाया दस वि जिनिंदा सम (व) ण जोगे ॥ ३२४ ॥ ३८६६. भरहे य वासुपुज्जो, सेज्जंसजिणो य एरवयवासे । सयभिसयानक्खत्ते दस वि जिनिंदा समं जाया ॥ ३२५ ॥ ३८६७. विमलो य भरहवासे, एरवए सीहसेण जिणचंदो । उत्तरभद्दवयाहिं दस वि जिणा एगसमयम्मि ॥ ३२६ ॥ ३८६८. भरेहे अणंतइजिणो, एरवएऽसंजैलो जिणवरिंदो । एसमएण जाया दस वि जिणा रेवईजोगे ॥ ३२७॥ ३८६९. धम्मो य भरहवासे, उवसंतजिणो य एरवयवासे । एसमएण जाया दस वि जिणा पुस्सजोगम्मि ॥ ३२८ ॥ १५ ३८७०. संती य भरहवासे, एरवए दीह (देव) सेणजिणचंदो | एसमएण जाया दस वि जिनिंदा भरणिजोगे ॥ ३२९ ॥ ३८७१. कुंथू य भरहवासे, एरवयम्मि य महाहिलोगबलो । एसमएण जाया दस वि जिणा कित्तियाजोए ॥ ३३० ॥ ३८७२. होइ अरो य महंतो भरहे, अईपासजिणो य एवए । एसमएण जाया दस वि जिणा रेवईजोगे || ३३१ ॥ ३८७३. मल्ली य भरहवासे, मैरुदेविजिणो य एरवयवासे । एसएण जाया दस वि जिणा अस्सिणीजोगे || ३३२ ॥ ४३८ २० १. प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र ' सच्चई' इत्यस्ति ॥ २. भरहे य अनंत जिणो हं० की ० ॥ ३. प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र ' सयंजल' इत्यस्ति ॥ ४. प्रवचनसारोद्वारे त्वत्र ' महाविरिय' इत्यस्ति ॥ ५. प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र 'पास' इत्यस्ति ॥ ६. प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र 'मरुदेव' इत्यस्ति ॥ ७. वि य मग्गसिरजोगम्मि हं० की ० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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