Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पइण्णयसुत्तेसु ३८४४. नेसप्प१-पंडुर-पिंगल३-रयण४-महापउम५-कालनामा६ य।
तत्तो य महाकाले ७ माणवए ८ संखनामे ९ य ॥३०३॥ ३८४५. एवं भरहसरिच्छा नवसु वि खेत्तेसु चक्किणो होति ।
एत्तो परं तु वोच्छं जो जाओ चुओ विमाणाओ ॥ ३०४॥ ५ [गा. ३०५-१२. उसभाइचउवीसजिणाणं चवणविमाणाई] ३८४६. चत्तारि एक्कओ, तिन्नि एक्कओ, सत्त एक्कमेक्काओ ।
पंचहिं दो दो य चुते वंदामि जिणे चउव्वीसं ॥३०५॥ ३८४७. उसभं च जिणवरिंदं धम्म संतिं तहेव कुंथु च ।
सव्वट्ठविमाणाओ चत्तारि चुए नमसामि ॥३०६॥ १० ३८४८. सेजंसं च जिणिदं अणतइमपच्छिमं च तित्थयरं ।
पुप्फुत्तरविमाणाओ तिन्नेव चुया नमसामि ॥ ३०७॥ ३८४९. हेट्ठिमगेवेन्जाओ संभव, पंउमप्पहं उवरिमाओ।
मज्झिमगेजचुयं वदामि जिणं सुपासरिसिं ॥ ३०८॥ ३८५०. आणयकप्पा सुविही, सीयलजिणमञ्चुयाओ कप्पाओ।
सुक्काओ वासुपुजं, सहस्सा(? साराओ चुयं विमलं ॥३०९॥ ३८५१. अभिनंदणं च अजियं विजयविमाणचुयं नमसामि ।
चंदप्पहं च सुमइं दो वि चुया वेजयंताओ ॥ ३१०॥ ३८५२. अर मल्लि जयंताओ, नमि नेमिऽपराइया विमाणाओ।
मुणिसुव्वयं च पासं पाणयकप्पा चुयं वंदे ॥३११॥ २० ३८५३. चयणत्थएण एवं भणिया मे जिणवरा चउव्वीसं ।
___ चरिमभवे वोक्ते एत्तो जम्मं निसामेह ॥ ३१२॥ [गा. ३१३-३८. दसखेत्तेसु एगसमयजायाणं उसभ-बालचंदाणण
जिणाईणं जम्मनक्खत्ता] ३८५४. पंचसु एरवएसुं पंचसु भरहेसु जिणवरिंदाणं । २५
उस्सप्पिणीइमीए दससु वि खेत्तेसु समकाला ॥३१३॥ १. अत आरभ्य ५०८ तमीगाथोत्तरार्द्धगत 'ऊणिया' शब्दपर्यन्तपाठात्मकानि ला. प्रतेः १४ तः २१ पत्राणि विनष्टानि ॥ २. कालं है? की.॥
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