Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२०. तित्थोगालीपइन्नयं
४३९ ३८७४. मुणिसुव्वओ य भरहे, मरुदेविजिणो य एरवयवासे (तह य ।
धेरो जिणवरो य एरवए)। एगसमएण जाया दस वि जिणा अस्सिणीजोगे (सवणजोगम्मि)
॥३३३॥ ३८७५. नमिजिणचंदो भरहे, एरवए सामको?जिणचंदो ।
एगसमएण जाया दस वि जिणा अस्सिणीजोगे ॥ ३३४ ॥ ३८७६. भरहे अरिट्ठनेमी एरवए अग्गिसेणजिणचंदो ।
एगसमएण जाया दस वि जिणा चित्तजोगम्मि ॥ ३३५॥ ३८७७. पासो य भरहवासे, एरवए अग्गिदत्तजिणचंदो।
एगसमएण जाया दस वि विसाहाहि जोगम्मि ॥ ३३६ ॥ ३८७८. भरहे वीरजिणिंदो, एरवए वारिसेणजिणचंदो।
हत्थुत्तराहिं जोगे जाया तित्थंकरा दस वि ॥ ३३७॥ ३८७९. एवं भणिया जम्मा दससु वि खेत्तेसु जिणवरिंदाणं ।
एत्तो परं तु वोच्छं वण्णविभागं समासेणं ॥३३८॥
१५
[गा. ३३९-५८. दसखेत्तसमुन्भवाणं उसभाइजिणाणं देहवण्णा] ३८८०. चत्तारि कालगा जिणवरा उ, चउरो पियंगुवण्णाभा।
चत्तारि पउमगोरा, ससिप्पभा होति चत्तारि ॥३३९॥ ३८८१. वरकणगतवियवण्णा बत्तीसं सेसगा जिणवरिंदा ।
भरहे एरवए वा दससु वि खेत्तेसु जिणचंदा ॥ ३४० ॥ ३८८२. मुणिसुन्वओ य भरहे, एरवयम्मि य धरो य सामलगा।
भरहे अरिद्वनेमी, एरवए अग्गिसेणो ति॥३४१॥
१. नास्तीयं गाथा सं० प्रतौ॥ २. एतत्पाठशुद्धिपुष्ट्यर्थ दृश्यता गाथा ३४१ तथा ५४४ । प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र ‘सिरिहर' इत्यस्ति ॥ ३. कोट्टजि हं० की। प्रवचनसारोद्धारे त्वत्र 'सामिको?' इत्यस्ति ॥ ४. प्रवचनसारोद्धारे खत्र 'अग्गदत्त' इत्यस्ति, अस्य च वृत्तौ अग्रदत्त अथवा मार्गदत्त' इति नामद्वयं दर्शितमस्ति ॥
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