Book Title: Painnay suttai Part 1
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२०. तित्थोगालीपइन्नयं
३७८७. चउउदहिसलिल-सरियाजलं च वसभेसु पक्खिवंति सुरा । असुर - सुरऽच्छरसहिया जिणाभिसेयं करेऊण ॥ २४६ ॥ ३७८८. पम्हलसुगंधसुमउयवत्थेण जिणाण अंगुवंगगयं ।
अवणेऊण जलरयं सहस्सनयणा पयत्तेणं ॥ २४७ ॥ ३७८९. हरिचंदणाणुलित्ते दिव्वाभरणलहुभूसणे काउं ।
सक्का कुणंति तेर्सि सीसे पज्जोवहारादी ॥ २४८ ॥ ३७९०. कोउगसयाइं विहिणा काऊणं जिणवराण मुहकमला (ले) । नव तिप्पंति नियंता अच्छिसहस्सेहिं सक्किदा ॥ २४९ ॥ ३७९१. तो देव-दाणविंदा सअच्छरा सपरिसा पहिट्ठमणा । अभिसंधुणंति पयया थुइसयपरिसंधुए वीरे ॥ २५० ॥ ३७९२. " तुम्ह नमो पायाणं चक्कंकुस लक्खणंकियतलाणं । कुम्मसुपइट्ठियाणं उष्णयतणुतंबणक्खाणं ॥ २५१ ॥ ३७९३. कम्मरयं अट्ठविहं नासेंति फुडं नयाण जीवाणं । तेण सरणं पवन्ना जिणाण पाए सिवुप्पाए ।। २५२ ॥ ३७९४. धण्णा जिणजणणीओ सिवगइपहदेसगा जिणा जाहिं । उदरेण जिणवसभा धम्मधुराधारगा धरिया " ॥ २५३ ॥ ३७९५. एवं सब्भूएहिं गुणेहिं अभिवंदिउं जिणवरिंदे |
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'जयइ जिणसासणं' ति य पहरिसियमणेहिं उग्घुटुं ॥ २५४ ॥ ३७९६. मोत्तूण य ते पवरे कंचणसीहासणे सुरवरिंदा ।
घेत्तूण जिणे सहिया सुरेहिं संपत्थिया तुरियं ।। २५५ ॥ ३७९७. संपत्ता य खणेणं जिणजम्मवणे पुरंदरा मुइया ।
नमिऊण जिणे अप्पंति विम्हिया नेगमेसीणं ॥ २५६ ॥ ३७९८. तेहि वि कंचणगोरा मयलंछणसोमदंसणा सुमणा ।
निक्खित्ता परमगुरू पासे जणणीण नियगाणं ॥ २५७ ॥ ३७९९. तो मरूदेवाईणं निदं अवहरिय वासवा मुइया ।
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सह देवीहिं थुणंती जिणाण जणणीण (ओ) पियरो य ॥ २५८ ॥
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