Book Title: Nabhakraj Charitram
Author(s): Merutungsuri,
Publisher: Dosabhai and Karamchand Lalchand
View full book text
________________
-
-
तेनापी जर शकायुं नहीं, तेथी पश्चाचाप करता रानाए ज्योतिषी पासे बीजु मुहूर्त कहाव्यं ॥३३॥
आकस्मिकसमुद्भूत-ज्येष्ठपुत्रव्यथावशात् । ..
तस्मिन्नपि गते लग्ने, तृतीयं लग्नमादे ॥ ३४ ॥ भावार्थ-ते बीजी वखते जोवडावेला मुहूर्तनो दिवस आवतां पोताना मोटा पुत्रने अकस्मात् व्यथा उत्पन्न च. यवाची वे बीजु मुहूर्त पण गपुं. त्यारे राजाए ज्योतिषीभो पासे त्रीजुं मुहूर्त कढान्यु.॥ ३४ ॥ १६॥
पदेवीमहाकष्टा-जातस्तस्याऽप्यतिक्रमः। ..
स्वचक्रशङ्कया लग्न-मत्यगात् तुर्यमप्यथ ॥ ३५॥ भावार्थ-ते त्रीजी वखत जोरहावेला मुहूर्ननो दिवस आवनां पोतानी पटराणीने अकस्मात् महाव्याधि उत्पन्न वायी ते दिवसे पण राजा नीकळी शक्यो नहीं. त्यारे फरीथी चोथी वखत नाभाक राजाए मुहूर्त जोवडा
ते मुहूर्त आवतां पोताना सैन्यमां तथा देशयां बखेडो जागवानी शंकाथी ते वखते पण राजा श्रीशजय तीर्थनी यात्रा करवा माटे नीकळी शक्यो नहीं, अने चोथु मुहूर्त पण व्यतीत थइ गयें ॥ ३५ ॥
अहो ! पापी ममात्मेपि, निन्दन स्वं पञ्चमं नृपः। मुहूर्तमाददे तच्च, परचक्रभयाद् गतम् ॥ ३६॥

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108