________________ भावार्थ-आ प्रमाणे श्रीनाभाकराजानी कथा सांभळीने बुद्धिमान् पुरुषोए देवद्रव्यथी तद्दन दूर रहे.उचित | छ // 294 // श्रीमदचलगच्छेश-श्रीमेरंतुङ्गसूरिभिः। युग युगभूसङ्ख्ये, वर्षे निर्मिता कथा // 295 // भावार्थ-श्रीमान् अंचलगच्छाधिपति श्री मेरुतुंगरिए चौदसो चोसठनी सालमां आ कथा रची // 295 // - श्रीनाभाकराजचरित्रं गुर्जरभाषानुवादसहितं / Heaker! समाप्तम्। rai