Book Title: Nabhakraj Charitram
Author(s): Merutungsuri,
Publisher: Dosabhai and Karamchand Lalchand
View full book text
________________
भावार्थ-हे महाभाग्यशाली! जे में तमने दुःख आप्युं तेनी क्षमा करो, हुं तमारा सत्त्वधी संतुष्ट थयो || छु, माटे जे तमारे जोइए ते वरदान मागी ल्यो ॥ २५७ ॥
राजाऽवोचन्न याचेऽह-माप्तधर्मधनः परम् ।
परं सीमन्धरस्वामि-निनंसां मम पूरय ॥ २५८ ॥ भावार्थ-राजाए कधु के-" में धर्मरूपी अखूट खजानो प्राप्त करेलो होवाथी मारे मागवानुं कांइ रघु नयी, || च. पण मारे श्रीसीमंधर स्वामीने वंदन करवानी इच्छा छे ते पूर्ण कराव ॥ २५८ ॥
अथो देव-गुरुन्नत्वा, सत्त्वाधिकशिरोमणिः।
नाकिक्लप्तविमानेन, विदेहेषु ययौ नृपः ॥ २५९ ॥ भावार्थ-त्यार बाद देवे विमान बनाव्यु, तेनी अंदर सत्त्वशाळी पुरुषोमां शिरोमणि नामाक राजा देव अने गुरुने नमस्कार करी बेठो, अने देवनी सहायथी. ते विमान वडे महाविदेह क्षेत्रमा ज्यां श्रीसीमंधर स्वामी बिराजेला हता त्यां गयो ॥२५९॥
तत्राऽष्टप्रातिहार्यश्री-सेव्यं सीमन्धरं जिनम् । नत्वाऽपृच्छच्चिरत्नो मे-ऽन्तरायः कोऽयमित्यसौ ॥ २६० ॥

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108