Book Title: Nabhakraj Charitram
Author(s): Merutungsuri, 
Publisher: Dosabhai and Karamchand Lalchand

View full book text
Previous | Next

Page 98
________________ AAAAAAAA भावार्थ-शत्रुजय पर्वत पर ते बन्ने जणाए त्रण अठवाडिया सुधी भक्तिपूर्वक श्रीआदीश्वर प्रभुनी स्नात्र-|| पूजानो महोत्सव करी पोताना आत्याने भाग्यशाली मानवा काग्या ॥ २६६ ॥ अथ शाश्वतपूजार्थ, सर्वाङ्गाभरणानि तौ। ___कारयित्वा महापूजा-क्षणेऽरोपयतां क्रमात् ॥ २६७॥ भावार्थ-त्यार पछी शाश्वत पूजा माटे सर्व अंगना आभूषणों करावी ते महापूजा वखते आभूषणोने क्रम- ||" सर प्रभुना अंग उपर चडाव्या ॥ २६७ ।। माणिक्यरत्नखचितां, दत्त्वा हैमी महाध्वजाम् । अभारङ्गसङ्गीत-भक्तिं दर्शयतश्च ती ॥२६८ ॥ भावार्थ-त्यार पछी माणेक अने रत्नोथी जडेळी सुवर्णनी महाध्वजा चडावी अने अखंडित भावोल्लास पूर्वक संगीत गान करी प्रभुना उपर पोतानी अवर्णनीय भक्ति देखाडी आपी ॥ २६८ ॥ एवं निर्माय निर्मायौ, प्राज्यप्रौढप्रभावनाः । सर्वज्ञशासनौन्नत्यं, तो व्यस्तारयतां चिरम् ।। २६९ ।। A AA

Loading...

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108