Book Title: Nabhakraj Charitram
Author(s): Merutungsuri, 
Publisher: Dosabhai and Karamchand Lalchand

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ भावार्थ-तदनन्तर भद्रक मनवाको गधेडो मरण पामीने मुरस्थळ गाममां भानु नामनो गामनो मुखी थयो, । त्यां कोइ पण कारणसर राजानो अपराधी बनवाथी एक दिवसे राजाए गाममांयी काही मूक्यो ॥ १८० ।। गडावर्ते स्थितः सोऽथ, वृत्तिलोपमसासहिः। क्रूरकर्माऽर्जितैरेव, द्रव्यैः स्वं निरचीवहत् ॥ १८१ ॥ भावार्थ-राजाए गामायी काढी मुकेलो पानु गंगाने कांठे रहेगा लाग्यो, अने पोतानी चाल आजीविकानो नाश नहीं सहन थवाथी पापयी भरपूर क्रूर कार्योथी पैसा उपार्जन करी ते बड़े पोतानो निर्वाह चलावचा ६६॥ लाग्यो ॥ १८१॥ श्रीशत्रुजयपात्रातो, निवृत्तः कोऽपि वाडयः। पत्नी-पुत्रयुतस्तत्र, रात्रौ प्रामे समेतवान् ॥ १८२॥ ' भावार्थ-एक दिवसे श्रीशत्रुजय तीर्थनी यात्रा करी पाछो फरेलो कोइ ब्रामण पोतानी स्त्री अने पुत्र सहित ते मुरस्थल गाममा रात्रे आव्यो ॥ १८२॥ भक्तदत्तां गृहीत्वा गां, सोऽन्त्ययामे चलंस्ततः । गो-पत्नी-पुशपुक् लेन, दुष्टेनाऽघाति भानुना ॥ १८३ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108