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महावीर चरित्र |
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सूर्यके समान था तो मी पृथ्वीको अतिग्मं जो प्रखर - कठोर नं. हों ऐसे करोंसे आल्हादित करता था ॥ १६ ॥ अनल्प- महान् शीलके आमरण ही जिसके अद्वितीय भूषण हैं, जो रमणीयता के विश्राम करनेकी भूमि है, जिसने प्रसिद्ध वंशमें जन्म लिया हैं ऐसी कनकमाला नामकी उस राजाकी रानी थी ॥१७॥
अनला - महान् कांति-द्युति तथा सत्व गुणसे युक्त वह हरिध्वज देव सौधर्म स्वर्गसे उतर कर उन दोनों पिता माताको उत्पन्न करता हुआ कनकध्वज नामका पुत्र हुआ ॥ १.८ ॥ : जिल समय वह गर्भ में था उसी समय उसने माताके दौहृद - दोहलाके भायास - पूर्ण करने के व्याज जिनेन्द्र देवकी पूजाओंको निरंतर कराया । इससे ऐना मालुन पड़ता था मानों वह बालक अपनी सम्यंत शुद्धिको ही प्रकट कर रहा है ॥ १९ ॥ जिसके उत्पन्न होते ही प्रतिदिन - दिनपर दिन कुश्री इस तरह बढ़ने लगी जि.प. तरह चंद्रमांका उड़ग होते ही समुद्रकी वेला या वसंतऋतुके निकटवर्ती होनेपर आम्रवृक्षों की पुष्पसंपत्ति ॥ २० ॥ मनोहरु मूर्तिके धारक कनकनकी स्वाभाविक विशुद्ध बुद्धिके द्वारा एक साथ जितका अवगाहन अभ्यास किया गया है ऐसी चारो राज:विद्यायें और कीर्तिके द्वारा दिश. ये सहसा विशिष्ट शोभाको प्राप्त
॥ २१ ॥ कनकध्वन यौवन-लक्ष्मी के निवास करनेका अद्वितीय कमल और महान धैर्यका धारक था । इसका प्रभाव प्रसिद्ध था ! अतएव इसने दूसरा कोई जिनको सिद्ध नहीं कर सके ऐसे शत्रुओंके षड्वर्गकी और विश्वाओंके गण - समूहको अपने वशमें कर लिया" था ॥ २२ ॥ इच्छानुसार - बिना किसी तरह की बनावटके - स्वाभाविक
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