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हवा सर्ग। [१७३ ॥ ॥ इस देशमें ऐसी कोई जगह नहीं थी जहाँ धान्य न हो, ऐसा कोई धान्य न.या जो पार्ककी कांति-शोमासे रहित हो, ऐसी कोई पाकसंपत्ति न थी निमपर पुलाक न हो-जिसके ऊपरकी मुसी तुच्छ-पतली न हो.। क्योंकि यह देश सदा ही रमणीयतासे युक्त रहता था ।... ॥ यहां पर ऐसा कोई मनुष्य न था जो विपूल और सारभूत धनधान्यस रहित हो । ऐसा कोई द्रव्य भी नहीं था कि जो प्रणयी पुरुषों के द्वारा अपनी इच्छानुसार अच्छी तरह अनुपमुक्त न होता हो भावार्य, उपभोग करके भी जो बाकी न बचता हो ऐसा कोई द्वय न था ॥३॥ ऐसी कोई पुरन्ध्री-रमणी नथी नो रमणीयतासे रहित हो। ऐसी कोई रमणीयता मुंदरता न थी कि जिसमें एमगता ने पाई जाया ऐसी कोई सुमगता न यी जो शीलरहित हो, ऐसा कोई शील भी नहीं था कि जो पृथ्वीपर प्रसिद्ध न हो | ऐसी कोई नदी नहीं थी जो जलरहित हो । ऐमा कोई जल न था जो स्वादरहित और शीतल न हो, तथा जहाँक पिये हुए जलकी प्रशंसाः पथिकोंके समूहसे नियमस न सुनी हो ॥ ५ ॥ ऐंमा कोई वृक्ष न था कि जो पुष्पोंकी शोमासे रहित हों। ऐसा. कोई पुष्प न था जो अतुल सुगंधिसे खाली हो। ऐसी कोई सुगंधि न यी जो भ्रमरोंकी पंक्तिको ठहरानेमें विकुछ अक्षमअसमर्थ न हो ॥ ६ ॥
इसी देशमें अपनी कातिके द्वारा जिसने दूसरे नगरोंकी आ.. शरीरको बास्तवमें सुडौलता.. २ ऐसा शरीर कि जो दूस:रेको देखने में अच्छा लगे। क्योंकि कोई.२ शरीर वास्तवमै सुडौल. सुंदर होनेपर भी देखनेवालेको प्रिय नहीं मालूम होता।