Book Title: Mahavira Charitra
Author(s): Khubchand Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 272
________________ २५२ ] महावीर चरित्र । ... न होते हुए क्षीरसमुद्रने ही घेर लिया हो ॥ ७६ ॥ भगवान्के : आगे बनाये स्फटिकका दर्पण तालन-पंखा भंगार-झारी और : उन्नत कलश इत्यादिक मंगल द्रव्योंको तथा पटलिका (एक प्रकारको -टोकनी)में रखी हुई करसवृक्षक पुष्पोंकी मालाओंको : सुराज- .. इन्द्रकी वधुओंने धारण किया ॥ ७७ ॥ मार्गके खेदको दूर करते . हुए तीन गुणोंसे युक्त उसके शिखर या किनारेसे उत्पन्न हुए मरुतसे उपगृह हुए मस्त-देवगण, अकृत्रिम चैत्यालयोंने जिसकी शोमाको । महान् बना दिया है ऐसे मेरु-पर्वत पर शीघ्र ही जा पहुंचे ||८il : देवता मेरुके पाण्डुक वनमें पहुंचकर शरबन्द्रके समान धवल पाण्डक । शिला पर पहुंचे जो कि ऐकसों पांच योनन लम्बी और लम्बाईसे आधी अर्थात् साढ़े आपन योनन चौड़ी तया युग-आठ योनन उंची. .. है ॥ ७९ ॥ रजनीनाथ-चंद्रमाकी कलाकें आकार-अष्टमी के चंद्र १ शिलाका प्रमाण जिसमें बताया है वह मूल पाठ ऐसा : है- पंचशतयोजनमात्रदीघादीर्घिविस्तृतिरयो युगयोजनोचा"... इसका अर्थ ऐसा भी हो सकता है कि वह शिला ५०० योजन .. ' लम्बी २५० योजन चौड़ी और युग (2) योजन ऊंनी है । परंतु. यह अर्थ दूसरे ग्रंथोंसे बाधित होता है क्योंकि दूसरी जगह शिलाका .." प्रमाण १०० योजन लम्बा ५० योजन चौड़ा.८ योजन ऊंचा वताया है। इसी लिये हमने उपर्युक्त अर्थ किया है । दूसरी जगहके प्रमाणकी अपेक्षा जो यहां पर कुछ अधिक प्रमाण बताया : है उसपर विद्वानोंको विचार करना चाहिये । युग शमका अर्थ . . आठ हमने यहां पर दूसरी जगह की अपेक्षासे किया है ।. कोपर्मे:... इस शब्दका अर्थ चार और बारह मिला है । सम्भव हैं कि -कहीं पर भाठ अर्थ भी होता हो या युग शब्दकी जगह वसुं पाठ हो। ::

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