Book Title: Mahavira Charitra
Author(s): Khubchand Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 299
________________ .. कंचन प्रमा भी तप्त निनके, ज्ञान निधि हैं गत तनु । सिद्धार्थ नृपवरके तनय हैं, चित्र आत्मा मी ननु । श्रीयुक्त और अजन्म गति मी, चित्र हैं मन नशनमें । .श्री वीरस्वामी मार्गगामी, हों हमारे नयनमें ॥ .., . (६) : . विमला विविध नय उर्मियोंसे, भारती. गंगा यही। ज्ञानाम्मसे इह मानवोंको, स्तपित करती है सही ।। बुधजनमरालोंसे अमी, संतप्त है इह मुवनमें । श्री वीरस्वामी. मार्गगामी, हो हमारे नयनमें ॥ त्रिभुवन विनेता काय योद्धा, वेग जिसका प्रबल है। सुकुमार कोमल उम्रमें, नीता स्व बलसे सबल है । वह प्रशम पदके राज्यको, आनन्द नित्य स्मरणमें। " श्री वीरस्वामी. मार्गगामी, हों हमारे नवनमें । हैं वैद्य मोहातङ्कको, कश्चित् महा प्रशमनपरः । अनपेसबन्धु विदितमहिमा, और श्री मंगलकरः । • मन्त्र मीत साधु- प्राणियोंका, श्रेष्ठ गुण हैं शरणमें । श्री वीरस्वामी मार्गगामी, हों हमारे नयनमें ॥ . सतीशचन्द्र गुप्ता सरत!

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