Book Title: Mahavira Charitra
Author(s): Khubchand Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 297
________________ ___ अढारहवाँ सर्ग। [२७७ antaramin या संपत्तिके समान श्रेष्ठ श्राविकाके, अथवा मौद्गल्य पर्वतपर है निवास जिसका ऐसी वनस्थ संपत सच्छविकाके ममत्व प्रकट करनेपर-उसके कहनेसे भावकीर्ति मुनि नायकके पादमूलमें संवत् ९१० में मैंने विद्याका अध्ययन किया और चौड़ देश विरला नगरीमें श्रीनाथके जनताका उपकार करनेवाले पूर्ण राज्यको पाकर जिनोपदिष्ट आठ ग्रंथोंका निर्माण किया ॥ १०४ ॥ इस प्रकार अशग कविकृत वर्दमान चरित्रमें महापुराणोपनिषदि ... भगवनिर्वाणापगमन नामक अवारहवा सर्ग अमात हुआ। श्रीमहावीरवरित्र समाप्त ।

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