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महावीर चरित्र।
............ranies, ज्ञान दर्शन, दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य ये सात इनको मिला-, . कर क्षायिकके नव भेद होते हैं ॥ १० ॥ तीन अज्ञान-मिथ्याज्ञान (कुमति, कुश्रुा, विभंग), चार सम्यग्ज्ञान, तीन दर्शन, पांच लब्धि: सम्यक्त्व, चारित्र, और संयमासयम, सबको मिलकर क्षायोरशमिके. अठारह भेद होते हैं ॥ ११ ॥ एक अज्ञान-ज्ञानका अभाव, तीन. वेद (स्त्री, पुरुष, नपुंपक), उह लेश्या (हश, नील, यापोत.. पीत, पद्म, शुक्ल ), एक मिथ्यादर्शन, एक असंयत, चार कायं । (क्रोध, मान, मावा, लोभी और एक असिद्धत्व और चार गति (नरक, तिर्यंच, मनुष्य, और देव) इस प्रकार ये इकोस भेद औदयिक भावके : हैं ।। १२ ।। पांच-पारणामिक भावके तीन भेद हैं-जीवत्व, भारत्व, अमरत्व । इन पांच भ.वोंके सिाय एक मुट्ठा सांनिपातिक". भाव भी है । इसके आचार्योंने छत्तीय भेद बताये हैं ॥१३॥ मुक्त जीव सब समान हैं। वे अक्षय-कभी नष्ट न होनेवाले सम्पत्तव . आदिक श्रेष्ठ गुणोंसे युक्त हैं-इन गुणों के साथ उनका तादात्म्य : सम्बन्ध है । और वे इस दुस्तर संसार-समुद्रसे तिरका त्रिलोकीके • अग्रभागमें विराजमान हो चुके हैं ॥१४॥ धर्म अधर्म पुदल आकाश.
और काल ये अजीव द्रव्य वताये हैं। इनमें से पुदल द्रव्यरूपी है इन द्रव्यों में से कालको छोड़कर बांकीके चार द्रव्य और जीव इस प्रकार पांच द्रव्योंको अस्तिकाय कहते हैं ॥१५॥ छहों द्रव्यों में से एक जीव . द्रव्य ही कर्ता है, और द्रव्य कर्ता नहीं है । असंख्यात प्रदेशोंकी अपेक्षा धर्म क्रय और अधुर्म द्रव्य एक. जीव द्रव्यके समान हैंजितने असंख्यात प्रदेश एक नीव. द्रन्यके हैं उतने ही असंख्यात '. धर्म द्रव्यके और उतने ही अधर्म द्रव्यके हैं । आकाश द्रव्य अनंत