Book Title: Mahapurana Part 4
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 12
________________ आलोचनात्मक मूल्यांकन [19 उनका महत्व नहीं है कि वे राम-लक्ष्मण के पिता है। लक्ष्मण कैकेयी से उत्पन्न है, इसलिए भरत को राजपाट दिलाने के लिए वर माँगने और उससे सम्बन्धित घटनाएं पुष्पदन्त की रामायण में नहीं हैं। मन्त्री के उपदेश मे वद्य दशरथ का मिथ्यादर्शन दूर हो जाता है फिर भी मन्त्री महावत के अनुरोध पर वे राम-लक्ष्मण को मिथिला भेज देते है । परम्परा से प्राप्त काशी के छिन जाने पर दशरथ के मन में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। राम के अनुरोध करने पर वे सीता सहित राम-लक्ष्मण को वाराणसी भेज देते हैं। स्वप्न में सीता के अपहरण का आभास पाकर वे इसकी सूचना राम को भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। जनक - जनक का चरित्र भी स्पष्ट रूप से उभरकर नहीं आता। सीता उनकी पालित कन्या है। बहु मिथिला नगरी के राजा हैं, जो यह सोचते हैं कि यज्ञ में पशु वध से स्वर्ग मिलता है। यज्ञ की रक्षा करना उनके लिए सम्भव नहीं है। इसलिए उन्होंने दूसरे राजाओं सहित दशरथ के पास यह पत्र भेजा कि जो विद्याधरी से यज्ञ की रक्षा करेगा उसे वे पृथ्वीपुत्री सोता देंगे बहुत न उपहारों और लेख के साथ दूत दशरथ के पास आया। राम के शत्रुओं का विनाश करने पर जनक शीता का विवाह राम से कर देते हैं। राम जैन पुराणों के अनुसार, राम साठवें बलभद्र है। वे कौशल्या के नहीं, सुबह के पुत्र है। सुन्दर शरीर होने से राम कहा गया जिस समय राम की तभी कैकेयी से लक्ष्मण से का कवि ने दोनों के शौर्य और सौन्दर्य का वर्णन एक साथ किया है। एक हिमगिरि के शिखर के समान है तो दूसरा अंजनगिरि के शिखर की तरह दोनों गंगा और यमुना के प्रवाहों की तरह हैं। राम के तीरों I के प्रसार को देखकर दुश्मन कांप जाते हैं। शस्त्र और शास्त्र दोनों में उनका समान अभ्यास है। मन्त्री महाबल और चतुरंग सेना के साथ राम जनकपुरी जाते हैं, विद्याधरों से यज्ञ की रक्षा करने के साथ वे हिंसक यज्ञ को दिन्या करते हैं। जनक राम को सीता अर्पित कर देते हैं। राम के साथ सीता ऐसी प्रतीत होती है जैसे धवल मेघ के साथ बिजली कुछ दिन राम और लक्ष्मण मिथिला में सकते है। इस बीच पिता दशरथ के दूत भेजने पर राम, वधू के साथ अयोध्या जाते हैं सबसे पहले वे जिन प्रतिमा की पूजा करते हैं। प्रसन्न होकर दशरथ सात दूमरी कन्याओं का शम के साथ विवाह कर देते है। इसी प्रकार खोल कन्याओं से लक्ष्मण का विवाह किया गया। वसन्त कीड़ा के बाद राम, दशरभ से कहते हैं कि परम्परा से प्राप्त वाराणसी नगरी अपने अधिकार में कर लेना उचित है। पिता के सामने वे राजनीति शास्त्र का लम्बा-चौड़ा बखान करते हैं । अन्त में पिता की अनुमति पाकर राम लक्ष्मण एवं सीता को साथ ले वाराणसी पहुँचते हैं। नगर की अनिताओं पर उनके कामतुल्य सौन्दर्य की तीतर प्रतिक्रिया होती है। धीरोदात कुलीन सामन्त राजाओं की तरह लक्ष्मण के साथ राम का नगर में प्रवेश होता है। दही, अक्षत और सरसों स्वीकार करते हुए दोनों भाई राज्यलय में प्रविष्ट होते हैं। किसी को प्रिय वचन से, किसी को उपहार से किसी को रण के उद्भट शब्द से, किसी को उपकार से किसी को नौकरी देकर सभी को संतुष्ट करते हैं। इस प्रकार दोनों भाई किसी को प्रेम से, और किसी को बाहुबल से अपने अधीन करते हैं । कितने ही वनपालों और माण्डलीक राजाओं को जीत लेते हैं । नारद के उकसाने पर रावण मारीच की सहायता से सीता के अपहरण की योजना के साथ वारापसी के उद्यान में पहुँचता है, वहाँ राम वसन्त-कीड़ा के अनन्त र वृक्ष की छाया में सीता के साथ विधान कर रहे थे। उन्हें देखकर रावण को लगता "विश्व में एक मात्र राम कृतार्थ हैं कि जिनके पास सीता जैसी सुन्दर स्त्री है।" राम मायावी स्वर्ण मृग को पकड़ने के लिए दौड़ते है और इधर रावण सीता को उड़ा ले जाता है। लम्बा रास्ता चलने से पके हुए राम जब वोटने हैं, तो शाम को हुआ सूरज उन्हें परदार (रायण) की तरह दिखाई देता है। लक्ष्मण के यह कहने पर कि जब आप मृग के पीछे गए थे और मैं सरोवर में था, तभी

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