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परिकल्पना में पुष्टता तथा हमारे अनुभव में यथेष्ट समृद्धि हुई है इस में कोई सन्देह नहीं है । पाठक वर्ग से सभी प्रकार के सुझाव अभिनन्दनीय हैं चाहे वे सम्पादन, वर्गीकरण, अनुवाद या अन्य किसी प्रकार के हों। आशा है इस विषय में विद्वद्वर्ग का हमें पूरा सहयोग प्राप्त होगा।
दिगम्बर ग्रन्थों से लेश्या सम्बन्धी पाठ-संकलन अधिकांशतः हमने कर लिया है। इसमें श्वेताम्बर पाठों से समानता, भिन्नता, विविधता तथा विशेषता देखी है तथा कितनी ही ही बातें जो श्वेताम्बर ग्रन्थों में हैं दिगम्बर ग्रन्थों में नहीं भी हैं। हमारे विचार में दिगम्बर लेश्या-कोश को भी प्रकाशित करना आवश्यक है। लेकिन इसको प्रकाशित करने का निर्णय हम इस लेश्या-कोश पर विद्वानों की प्रतिक्रियाओं को जानकर ही करेंगे। इसमें पाठों का वर्गीकरण इस पुस्तक की पद्धति के अनुसार ही होगा लेकिन दिगम्बरीय भिन्नता, विविधता तथा विशेषता को वर्गीकरण में यथोपयुक्त स्थान दिया जायगा। वर्गीकरण के अनुसार पाठों को सजाना हम शीघ्र ही प्रारम्भ कर रहे हैं ।
क्रियाकोश की हमारी तैयारी प्रायः सम्पूर्ण हो चुकी है।
यद्यपि हमने इस पुस्तक का मूल्य १००० रुपया रखा है लेकिन वह विध्यनुरूप ही है क्योंकि इस संस्करण की सर्व प्रतियाँ हम निर्मूल्य वितरित कर रहे हैं। वितरण भारतीय तथा विदेशी विश्वविद्यालयों में, भारतीय विद्या संस्थानों में तथा विदेशी प्राच्य संस्थानों में, श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन विद्वानों में, अजैन दार्शनिक विद्वानों में, विशिष्ट विदेशी प्राच्य विद्वानों में, विशिष्ट भारतीय भंडारों तथा देशी व विदेशी विशिष्ट पुस्तकालयों में अधिकांशतः सीमित रहेगा।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के पुस्तकाध्यक्षों तथा श्रीमती हीराकुमारी बोथरा व्याकरण-सांख्य-वेदान्ततीर्थ के हम बड़े आभारी हैं जिन्होंने हमारे संपादन के कार्य में प्रयुक्त अधिकांश पुस्तकें हमें देकर पूर्ण सहयोग दिया। श्री अगर चन्द नाहटा, श्री मोहन लाल बैद, डा० सत्यरंजन बनजी तथा दिवंगत आत्मा मदन चन्द गोठी के भी हम कम आभारी नहीं हैं जो हमें इस कार्य के लिए सतत प्रेरणा तथा उत्साह देते रहे। श्री दामोदर शास्त्री एम० ए० जिन्होंने शेषकी तरफ प्रूफ शुद्धि में हमें सहायता की उन्हें भी हम हार्दिक धन्यवाद देते हैं। सुराना प्रिंटिंग वर्क्स तथा उसके कर्मचारी भी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस पुस्तक का सुंदर मुद्रण किया है। आषाढ़ शुक्ला दशमी,
मोहनलाल बाँठिया वीर संवत् २४६३.
श्रीचन्द चोरडिया
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