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तीसरा अध्याय
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गीत १० खेलना होगा तुझको खेल।
दुनिया यह नाटकशाला है;
तू नाटक करनेवाला है। तू न भाग सकता, जीवन है, पात्रों का ही मेल ।
खेलना होगा तुझको खेल ॥२८॥ बन जाना रागी वैरागी
कहलाना भोगी या त्यागी। सभी खेल हैं चतुर खेलते मूर्ख बने उद्वेल ।
खेलना होगा तुझको खेल ॥२९॥ क्या है जीना क्या है मरना;
यह है खेल सभी को करना । सब हँस हँस कर चोट झेलते तू भी हँसकर झेल ।
खेलना होगा तुझको खेल ॥३०॥
गीत ११ मत भूल मर्म की बात, खेल संसार है । तू समझ खल का मर्म जो सुखागार है ॥३१॥ सभी खिलाड़ी जुड़े हुए हैं, है न वैर का नाम । पर अपनी अपनी पाली का सब ही करते काम ॥
_____ मची भरमार है। मत भूल मर्म की बात, खेल संसार है ॥३२॥ भाई भाई बटे हुए हैं, है न वैर का लेश । प्रतिद्वन्दिता दिखती है, पर है न किसीको क्लेश ॥
हृदय में प्यार है। मत भूल मर्म की बात, खेल संसार है ॥३३॥