Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
View full book text
________________
स्वामित्व - उत्कृष्ट और जघन्य उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा उत्कृष्ट अनुभाग सत्कर्मवाले और अनुत्कृष्ट अनुभागसत्कर्मवाले दोनोंके होती है इसका ऊहापोह सर्वत्र उत्कृष्ट संक्लेशसे बहुत अनुभागकी हानि नहीं होती उसका खुलासा मनुष्यगति और देवगतिमें उत्कृष्ट वेदरूप संक्लेश नहीं होता इसका सप्रमाण समर्थन सम्यग्मिध्यादृष्टि संयमको सीधा प्राप्त नहीं होता इसका सप्रमाण समर्थन
एक जीवकी अपेक्षाकाल - उत्कृष्ट और जघन्य अनुभागबन्धाध्यवसाय स्थानोंकी दृष्टिसे उत्कृष्ट संक्लेशसे च्युत हुआ जीव एक समयके अन्तरसे पुनः उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला हो सकता है इसका सप्रमाण समर्थन
एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल- उत्कृष्ट और जघन्य
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय आदि शेष अनुयोगद्वारोंके कथन करनेकी चूर्णिसूत्र
द्वारा मात्र सूचना
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय- उत्कृष्ट
और जघन्य
भागाभाग - उत्कृष्ट और जघन्य
परिमाण - उत्कृष्ट और जघन्य
क्षेत्र - उत्कृष्ट और जघन्य स्पर्शन - उत्कृष्ट और जघन्य काल- उत्कृष्ट और जघन्य अन्तरकाल - उत्कृष्ट और जघन्य सन्निकर्ष - उत्कृष्ट और जघन्य
अल्पबहुत्व- उत्कृष्ट और जघन्य
भुजगार भुजगारके विषयमें १३ अनुयोगद्वारोंकी सूचना
समुत्कीर्तना
स्वामित्व
एक जीवकी अपेक्षा काल
एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय
भागाभाग
परिमाण
क्षेत्र
स्पर्शन
काल
अन्तरकाल
४६
४७
४९
५१
५४
६२
६५
७४
८७
८७
८८
८९
९१
९१
९८
१०१
१०५
१२३
१३५
१३५
१३६
१३७
१३८
१४६
१४५
१४५
१४६
१४६
१४९
१५१
[15]
भाव
अल्पबहुत्व
पदनिक्षेप
पदनिक्षेपके विषय में ३ अनुयोगद्वारों की सूचना १५५ समुत्कीर्तना- उत्कृष्ट और जघन्य स्वामित्व - उत्कृष्ट और जघन्य
१५५
१५६
अल्पबहुत्व- उत्कृष्ट और जघन्य
१६२
वृद्धि
इसमें १३ अनुयोगद्वारोंकी सूचना समुत्कीर्तना
स्वामित्व
एक जीवकी अपेक्षा काल
एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल
नाना जीवों की अपेक्षा भंग विचय
भागाभाग
परिमाण
क्षेत्र
स्पर्शन
काल
अन्तरकाल
भाव
अल्पबहुत्व
स्थानप्ररूपणा
४. प्रदेश उदीरणा
प्रदेश उदीरणाके दो भेद
मूलप्रदेश उदीरणा
मूल प्रकृति प्रदेश उदीरणाके २३ अनुयोगद्वारोंकी सूचना समुत्कीर्तना- उत्कृष्ट, जघन्य सर्व नोसर्व उदीरणा
उत्कृष्ट- अनुत्कृष्ट उदीरणा
जघन्य - अजघन्य उदीरणा
सादि आदि ४
स्वामित्व - उत्कृष्ट, जघन्य
काल- उत्कृष्ट, जघन्य
अन्तर- उत्कृष्ट, जघन्य
नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय
१५३
१५३
उत्कृष्ट, जघन्य
भागाभाग - उत्कृष्ट, जघन्य
परिमाण- उत्कृष्ट, जघन्य
१६३
१६३
१६४
१६५
१६६
१६८
१६९
१७०
१७०
१७०
१७३
१७५
१७७
१७७
१८०
१८१
१८१
१८१
१८२
१८२
१८२
१८२
१८३
१८४
१८७
१९०
१९१
१९२