________________ समझना चाहिए। दोनों की खोज साथ-साथ चलती है-अपायविचय और विपाकविचय। एक व्यक्ति का व्यवहार बहुत रूखा है, कठोर है, अशिष्ट है। यह एक घटना है। यह विपाक है, परिणति है। इसके पीछे अपाय क्या है? कारण क्या है? इसे समझे बिना विपाक का निदान नहीं किया जा सकता। यदि कोई सोचे कि विपाक का निदान कर दूं तो वह गलत होगा। निदान नहीं होगा, भ्रांति होगी। निदान होता यदि पहले तो विपाक हो ही नहीं। विपाक में आये ही नहीं। बीज उग गया है। अंकुर फूट पड़ा है। वृक्ष का रूप सामने आ गया है। अब उसका प्रतिकार क्या होगा? अब प्रतिकार नहीं हो सकता, चिकित्सा नहीं हो सकती। फिर तो छेदन ही हो सकता है। फोड़ा पक गया, अब तो वह फूटेगा ही। आज विकास का युग है। आज चिकित्सा की ऐसी शाखा उदघाटित हो गयी है, जो सूक्ष्म फोटोग्राफी के आधार पर, भविष्य में होने वाली बीमारी का पहले ही चित्रांकन कर लेती है, छह महीने बाद, वर्ष या दो वर्ष बाद कौन-सी बीमारी होने वाली है, यह पता चल जाता है। पहले से ही उसकी चिकित्सा कर ली जायेगी, जिससे कि वह शरीर में हो ही नहीं। बहुत अद्भुत बात है। प्राचीन काल में भी यह विद्या ज्ञात थी। पहले से ही बीमारी जान ली जाती और उसके न होने की स्थिति पैदा कर दी जाती। यह पद्धति थी कर्मशास्त्र की। कर्म के विपाक को जान लिया जाता और वह न हो, इसकी व्यवस्था पहले से ही कर ली जाती। . हमें केवल वर्तमान को ही नहीं देखना है। ध्यान के लिए यह बताया जाता है. कि वर्तमान को देखो, वर्तमान के क्षण को देखो, यह भी एक बात है, किन्तु पूरी बात नहीं है। वर्तमान को देखना अच्छा है। मन को शांत करने के लिए बहुत जरूरी है वर्तमान को देखना। किन्तु तथ्यों की समग्र जानकारी के लिए केवल वर्तमान ही पर्याप्त नहीं होता, अतीत को भी देखना जरूरी होता है। जिस अतीत का परिणाम वर्तमान बनता है, जिस अतीत का विपाक वर्तमान बनता है, उस अतीत को समझना भी आवश्यक है। अतीत को समझे बिना वर्तमान के विपाक आचरण के स्रोत 5