Book Title: Karmaprakruti Author(s): Abhaynanda Acharya, Gokulchandra Jain Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 9
________________ 1 18 कर्मप्रकृति कति संहननका लक्षण असंपादिका संहननका लक्षण वर्ण नाम कर्मके पाँच भेद वर्ण नाम कर्मका सामान्य लक्षण नाम कर्मके दो भेद गन्ध नाम कर्मका लक्षण रस नाम कर्मके पांच भेद रस नाम कर्मका सामान्य लक्षण लक्षण नामक रसका मधुरमें अन्तर्भाव स्पर्श नाम कर्मके आठ भेद स्पर्श नाम कर्मका कार्य आनुपूर्वी नाम कर्मके चार भेद और उनका कार्य आनुपूर्वी नाम कर्मका लक्षण भ अगुरुलघु नाम उपघात नाम कर्मका लक्षण परघात नाम कर्मका लक्षण तर नाम कर्मका लक्षण उद्योत नाम कर्मका लक्षण उच्छ्वास नाम कर्मका लक्षण विहायोगति नाम कर्मके दो भेद प्रशस्त विहायोगतिका लक्षण अप्रशस्त विहायोगतिका लक्षण स नाम कर्मका लक्षण और कार्य स्थावर नाम कर्मका लक्षण और कार्य बादर नाम कर्मका लक्षण और कार्य सूक्ष्म नाम कर्मका लक्षण पर्याप्त नाम कर्मका लक्षण अपर्याप्त नाम कर्मका लक्षण ૦૪ १०५ १०६ १०७ 204 १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ ११७ ११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ १९७ १२८ १२९ १३० १३१Page Navigation
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