Book Title: Karmaprakruti
Author(s): Abhaynanda Acharya, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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भावकर्म
[ १८८. भावकर्मणः लक्षणम् ]
उज्ञानावरणादिद्रव्यकर्मोदयजनिता आत्मनोऽज्ञानराममिध्यावर्श
नाविपरिणामविशेषा भावकर्माणि ।
[ १८९. भावकर्मणां परिमाणम् ] तान्यप्यसंख्यातलोकमात्राणि भवन्ति ।
१८८. भाव कर्मका लक्षण
उक्त ज्ञानावरणादि द्रव्य कमके उदयसे होनेवाले आत्माके अज्ञान, राग, मिथ्यादर्शन आदि परिणामविशेष भाव कर्म हैं ।
१८९. भाव कर्मों का परिमाण
वे भाव कर्म असंख्यात लोक प्रमाण हैं |
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