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कप्रषिः
बादरसूक्ष्मपर्याप्तप्रत्येकशरीरसाधारणशरीर स्थिरास्थिरशुभाशुभसुभगदुभंग सुस्वरदुःस्वरादेयानादेययशस्कीर्त्य यशस्कोर्तिनिर्माणतीर्थंकर स्वानीतिपिण्डापिण्डरूपा नामकर्मप्रकृतयो द्वाचत्वारिंशत् ।
[ ६४. नामकर्मणः पिण्डप्रकृतीनां प्रयोनवतिः भेदाः ] पिण्डप्रकृतीनां भेदे तु सर्वा नामप्रकृतयस्त्रयोनवतिः ।
[ ६५ गतिनामकर्मणः चत्वारः भेदाः ] नारकतियंङ मनुष्यदेवगतिभेदाद गतिनाम चतुर्धा ।
६६. नरकगतेक्षणम् ]
यतो जीवस्य नारकपर्यायो भवति सा नरकगतिः ।
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आतप उद्योत उच्छ्वास, त्रस, स्थावर, बादर, पर्याप्त, अपर्याप्त,
प्रत्येक शरीर, साधारण शरीर, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, सुभग, दुभंग, सुस्वर, दुःस्वर, आदेय, अनादेय, यशस्कीर्ति, अयशस्कीति निर्माण तथा तीर्थंकरत्व ये नामकर्मकी पिण्ड-अपिण्डरूप बयालीस प्रकृतियाँ हैं ।
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६४. नाम कर्मकी तिरानवे प्रकृतियाँ
पिण्डप्रकृतियों के भेद करनेपर नामकर्मकी सब प्रकृतियां तिरानबे होती हैं ।
६५. गति नाम कर्मके चार भेद
नरकगति तिर्यग्गति, मनुष्यगति और देवगतिके भेदसे गति नाम
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कर्मके चार भेद हैं ।
६६. नरकगतिका लक्षण
जिसके कारण जीवकी नारकपर्याय होती है, वह नरकगति है ।
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