Book Title: Karmaprakruti
Author(s): Abhaynanda Acharya, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 49
________________ कर्मप्रकृतिः [ १३९[ १३९. प्रत्येकगरीररय लक्षणम् | प्रत्येकशरीरनामैकस्य जीवस्येकशरीरस्वामित्वं करोति । [ १४०. साधारण शरीरस्य लक्षणम् ] साधारणशरीरनामानन्तजीवानामेकशरीरस्वामित्वं करोति । [ १४१. स्थिरनामकर्मणः इलक्षणम् ] स्थिरनाम रसरुधिरमासमेदोऽस्थिमज्जाशुक्राणां सप्तधातुनामचलि तत्वं करोति। [ १४२. अस्थिरनामकर्मणः लक्षणम् ] अस्थिरनाम लेषां चलितत्वं करोति । [ १४३. शुभनामकर्मणः लक्षणम् ] शुभनाम मस्तकादिप्रस्तावयचं करोति । १३९. प्रत्येक शरीरका लक्षण प्रत्येक शरीर नाम कर्म एक जीवको एक शरीरका स्वामी करता है। १४७. साधारण शरीरका लक्षण साधारण शरीर नामकर्म अनन्त जीवोंको एक शरीरका स्वामी करता है। १४१. स्थिर नाम कभका लमण स्थिर नाम कर्म रस, रुधिर, मांस, मेदा, अस्थि, मज्जा और शुक्र इन सात धातुओंकी स्थिरताको करता है। १४२. अस्थिर नाम कर्मका लक्षण अस्थिर नाम कर्म उपर्युक्त सप्त धातुओंकी अस्थिरता करता है।

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