Book Title: Karmaprakruti
Author(s): Abhaynanda Acharya, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 12
________________ भाव कर्म मोव कर्मका लक्षण भाव कर्मोका परिमाण नोकर्म नोकर्मका लक्षण संसारी जीवका लक्षण मुक्त जtत्रका लक्षण संसारी जीवोंके दो भेट विवय-सूची भव्य जीवका लक्षण भव्य जीवोंके चौदह गुणस्थान अभव्य जीववा लक्षण अन्यों के करणत्रयका अभाव मिथ्यात्व गुणस्थान मिध्यादृष्टि सम्यक्त्वका कथन क्षयोपशमलब्धि विशुद्धिलब्धि देशनालब्धि प्रायोग्यता लक्ष्य करणलब्धि करणके तीन भेद अधःप्रवृत्तकरणका काल अपूर्वकरणका काल अनिवृत्तिकरणका काल तीनों करणों का सम्मिलित काल करण में त्रिशुद्धि अधःप्रवृत्त करण कालमें विशुद्धि परिणाम ટ १८९ १९० १९१ १९२ १९३ १५ १५ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २०२ २०३ २०४ ૨૦૧ २०६ २०७ २०८ २०१ २१० २११

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